मेरठ, 30 अगस्त (प्र)। शहर के प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा की प्रधानाध्यापक फौजिया रहमान को सस्पेंड करना बीएसए के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा सचिव लखनऊ, डीएम मेरठ व बीएसए तथा बीईओ से जवाब तलब कर लिया है। गुरुवार को जब कोर्ट के आदेश मेरठ पहुंचे तो शिक्षा विभाग के अफसरों में हड़कंप मच गया। फोन घनघनाने शुरू हो गए।
मामले के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद इसके स्थानीय स्तर पर भी तूल पकड़े जाने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बीएसए कार्यालय के सूत्रों की यदि बात करें तो करीब दर्जन भर और ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने अपने ऊपर हुई कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है। प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा के छह कमरों में से चार कमरों में ताला बंद किए जाने व बच्चों के निपुण न होने एवं स्कूल की शिक्षा व्यवस्था खराब होने व मिड-डे-मील का वितरण न होने के आरोप में प्रधानाध्यापक फौजिया रहमान को बीएसए ने निलंबित कर दिया था।
निलंबन को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के समक्ष बहस में बताया कि याची पिछले कई सालों से प्रधानाचार्य के रूप में प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा नगर क्षेत्र मेरठ में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। सभी तरह के स्कूल के कायदे कानूनों का पालन करती रही है, लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र ने अपने निरीक्षण में स्कूल में तमाम खामियां दिखाते हुए निलंबन के आदेश पारित कर अन्य विद्यालय कासमपुर में 20 फरवरी, 2024 को संबंध कर दिया गया, जबकि याची अभी अपने मूल विद्यालय पदमपुरा में अपना दायित्व का निर्वहन कर रही है और शासनादेश के अनुसार याची को मूल विद्यालय से अन्यत्र कहीं सम्बद्ध नहीं किया जा सकता है।
याची ने पूर्व में अपने अधिकारियों को भी अवगत कराया था कि मिड-डे मील की क्वालिटी खराब होने के कारण कुछ बच्चे खाना नहीं खाते, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। एक से कक्षा पांचवीं तक के बच्चों को मात्र दो कमरों में बैठा कर पढ़ाने की जिमेदारी दी गई। जबकि चार कमरे 2017 से जर्जर होने के कारण बीएसए ने कमरों में ताला बंद करा दिया। इस कारण एक बच्चे के माता-पिता ने अपना नाम भी विद्यालय से कटवा लिया। बीएसए को ऑनलाइन शिकायत किए जाने पर बीएसए ने स्वयं यह माना है कि स्कूल में कुल छह कमरों में चार कमरे जर्जर हैं, जिसमें शासन के निर्देश पर ताला बंद किया गया है। न्यायालय ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी, बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारी एवं सचिव बेसिक शिक्षा,लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।