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जेंडर बदलने के लिए सालभर वैसा ही वेश जरूरी, पीजीआई ने बनाई गाइडलाइंस

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लखनऊ 22 नवंबर। उत्तर प्रदेश में जेंडर बदलने के लिए तैयार नियमों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। जेंडर डिस्फोरिया पीड़ित मरीज या ट्रांसजेंडर अगर जेंडर बदलवाना चाहते हैं तो सर्जरी से पहले कम से कम एक साल तक नए जेंडर के वेश में रहना होगा। यूपी में जेंडर चेंज सर्जरी के मामले बढ़ने के बाद पीजीआई के डॉक्टरों ने इसकी गाइडलाइंस तैयार की है। इसके तहत कोई महिला जेंडर बदलवाना चाहती है तो उसे पुरुष के वेश में रहना होगा। इसी तरह कोई पुरुष अगर महिला बनना चाहता है तो उसे महिला के वेश में रहना होगा। एक साल तक नए वेश में रहने के बाद सर्जरी कर जेंडर चेंज किया जाएगा। इतना ही नहीं, प्रक्रिया शुरू होने से पहले सायकॉलजिकल इवैल्युएशन होगा। इसमें कम से कम दो सायकॉलजिस्ट की अनुमति जरूरी होगी।

देश में जेंडर बदलने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल में मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों के जेंडर बदलवाने का मामला चर्चा में रहा। यूपी में भी दो महिला पुलिसकर्मियों ने जेंडर बलवाने की अनुमति मांगी है। यह मामला कोर्ट में है। इस पर सरकार ने कोर्ट के आदेश पर समिति बनाई थी, जिसमें पीजीआई के डॉक्टर भी शामिल थे। फिलहाल जेंडर बदलने की सर्जरी सिर्फ पीजीआई में हो रही है। ऐसे में संस्थान के डॉक्टरों ने इसकी गाइडलाइंस तैयार की हैं। टीम में शामिल डॉ. अंकुर भटनागर ने बताया कि विश्व में अलग-अलग जगहों की गाइडलाइंस का अध्ययन कर यूपी की गाइडलाइन बनाई गई है। इसके तहत किसी भी शख्स को जेंडर चेंज सर्जरी करवाने से एक साल तक नए जेंडर के वेश में रहना होगा। इस दौरान हार्मोन थेरपी देने के साथ ही पूछा जाएगा कि वह सर्जरी करवाना चाहता है या नहीं। किसी भी स्टेज में इनकार पर प्रक्रिया रोक दी जाएगी।
जेंडर बदलने के बाद मरीज के सारे प्रमाणपत्र फिर से बनाए जाते हैं। इसके लिए डॉक्टर के लिखित प्रमाणपत्र के बाद डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। फिर आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य प्रमाणपत्रों में नई पहचान दर्ज होती है। इसमें नई फोटो के साथ नया नाम भी दर्ज होता है।

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