मेरठ, 20 अप्रैल (प्र)। रैपिड ट्रेन की मेट्रो सिटी मेरठ में आमद के साथ-साथ महानगर के बीच स्थित भैंसाली बस स्टेशन भी बाहर करने की योजना परवान चढ़ने के लिए तैयार है। इसी के साथ महानगर से बस स्टेशनों का फासला 15 किमी तक बढ़ जाने वाला है। जिसे कवर करने के लिए महानगर बस सेवा का सहारा लेने की स्थिति में यात्रियों की जेब पर 30 रुपये से अधिक का बोझ भी पड़ने वाला है।
मेरठ-दिल्ली रोड पर दशकों पुराना भैंसाली बस स्टेशन है, जहां से भैंसाली और मेरठ डिपों की बसों का संचालन किया जाता है। इसके अलावा मेरठ शहर के बीच स्थित इसी बस स्टेशन से होकर विभिन्न डिपो की करीब 1400 बसें प्रतिदिन गुजरती हैं। जिस स्थान पर यह बस अड्डा स्थित है, वह क्षेत्र घनी आबादी वाला होने के साथ ही वाणिज्यिक गतिविधियों का बड़ा केन्द्र हैं। जबसे एनसीआर की पहली रैपिड ट्रेन के दिल्ली-मेरठ के बीच चलाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, तभी से मेरठ महानगर के बीच स्थित भैंसाली बस स्टेशन और दोनों डिपो को बाहर शिफ्ट करने की प्रक्रिया जारी है।
रैपिड़ ट्रेन का निर्माण करने वाली आरआरटीएस के माध्यम से भूडबराल और पल्हैड़ा स्थित रैपिड ट्रेन स्टेशनों के पास बस स्टेशन को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया, जहां से इसे सरकार तक के स्तर से स्वीकृति भी मिल चुकी है।
मौजूदा स्थिति यह है कि मेरठ महानगर के बीच स्थित भैंसाली बस स्टेशन को शिफ्ट करने की स्थिति में मेरठ को दो नए बस स्टेशन मिलने वाले हैं, इनमें भूडबराल और पल्हैड़ा क्षेत्र शामिल हैं। बस स्टेशन को शिफ्ट करने के प्रस्ताव में यह भी शामिल है कि मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन करके बसों के परिचालन को आरआरटीएस के संचालन से जोड़ दिया जाए।
इससे यात्रियों को सुगम यातायात की सुविधा मुहैया हो सकेगी। नए प्रस्ताव के मुताबिक भैंसाली बस स्टेशन के साथ भैंसाली और मेरठ डिपो की लगभग 9.57 एकड़ जमीन के बदले भूड़बराल स्थित मेरठ साउथ आरआरटीएस स्टेशन के निकट एक बस स्टेशन, डिपो और पल्हैड़ा (मोदीपुरम) स्टेशन के निकट 2.6 एकड़ जमीन पर एक बस स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। जबकि पल्हैड़ा में पहले से ही मौजूद यूपीएसआरटीसी की क्षेत्रीय कार्यशाला के निकट स्थित तीन एकड़ जमीन पर डिपो बनाया जाएगा।
इसके अलावा मेरठ बाइपास स्थित सरधना रोड स्थित चौराहे और बागपत रोड व बड़ौत रोहटा रोड स्थित चौराहों के निकट बस शेल्टर की सुविधा विकसित की जाएगी। इन नए बस स्टेशनों के बन जाने से जहां महानगर के लोगों को प्रदूषण और जाम जैसी परेशानियों से आंशिक राहत मिलने की उम्मीद है, वहीं दोनों नए स्टेशनों तक आने-जाने के लिए निजी वाहनों का प्रयोग करने की स्थिति में फ्यूल का खर्च बढ़ जाएगा। अगर स्टेशन से महानगर आने-जाने के लिए सिटी बस सेवा का सहारा लिया जाए, तो कम से कम 30-40 रुपये प्रति यात्री खर्च बढ़ जाएगा।