कारोबारी माहौल को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जीवन और व्यापार के क्षेत्र में सहजता लाने हेतु छोटे अपराधों में सजा के प्रावधान को खत्म करने वाला जनविश्वास संशोधन विधेयक 2025 आज लोकसभा में पेश किया बता रहे हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश विधेयक के माध्यम से 350 से अधिक प्रावधानों में संसोधन के प्रस्ताव शामिल बताए जा रहे हैं। देश के व्यवसाय के लिए अधिक अनुकूल और नागरिक केंद्रित वातावरण बनाने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार कुछ निर्णय ले रही है और उस पर फैसला करने जा रही है। पूर्व में 2023 में जनविश्वास प्रावधानों में संशोधन अधिनियम पारित किया गया था जिसके तहत 19 मंत्रालयों व विभागों द्वारा 42 अधिनियमों क 186 प्रावधानों को अपराध मुक्त कर दिया गया था। नागरिकों में एक विश्वास व्यवस्था के प्रति पैदा करना वक्त की मांग हमेशा रही है लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वाकई में अगर कोई अपराध हो रहा है तो जिम्मेदारों को सजा तो मिलनी चाहिए। चाहे वह कितनी ही सरल क्यों ना हो। इस मामले में 2023 में जो निर्णय लिए गए थे मेरा मानना है कि उनकी समीक्षा होनी चाहिए कि उनसे कितना सुधार और जनविश्वास का वातावरण बना। अगर लगता है कि कहीं कुछ अच्छा हुआ है तो मुझे लगता है कि इसमें कोई परेशानी नही है क्योंकि पूर्व में 15 अगस्त पर लालकिले से दिए गए भाषण में पीएम मोदी भी कह चुके हैं कि हमारे देश में ऐसे कानून हैं जो सुनने में भले ही आश्चर्यजनक लगते हों मगर छोटी छोटी बातों पर जेल का मार्ग तय करते हैं। पूर्व में भी सरकार 40.000 से ज्यादा अनावश्यक अनुपालन नियमों को समाप्त कर चुकी है। 1500 से ज्यादा कानूनों को निरस्त किया गया है। बताते चलें कि अंग्रेजों के समय से चले आ रहे अनावश्यक उत्पीड़न करने वाले प्रावधानों को समाप्त करना नागरिक हित में है लेकिन ऐसे मामलों में अब तक लिए निर्णयों की समीक्षा एक बार जरूर होनी चाहिए क्योंकि भले ही अनावश्यक प्रावधान समाप्त हो गए हो लेकिन ना पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव नजर आता है ना नागरिकों की नीति में। यह जरूर कह सकते हैं कि अब मिलावटखोरी से होने वाले नुकसानों तथा जो नियम सरकार बना रही है उसका पालन कहीं होता पूरी तौर पर नजर नहीं आ रहा है। मैं जनहित के कामों का समर्थक हूं। आम आदमी की समस्याओं का समाधान सभी चाहते हों। अनावश्यक कानून खत्म हो और उनकी आड़ में होने वाला उत्पीड़न हो समाप्त लेकिन जीवन व व्यापार को सुगम बनाने के नाम पर सुधार तो होना चाहिए मगर किसी भी रूप मेें समाज में अगर कोई अपराधिक कार्य कर रहा है तो भयमुक्त वातावरण व शांति व्यवस्था बनी रहे इसका भी ध्यान सरकार को रखना होगा। बाकी जो निर्णय सरकार और शासन करता है यह जनप्रतिनिधि लेते हैं उसे सभी मानते हैं और मानते रहेंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अनावश्यक कानून समाप्त हो मगर जीवन व्यापार को सुगम बनाने के चक्कर में आम आदमी पीड़ित ना हो इसका ध्यान रखना होगा
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