Wednesday, October 15

अफसरों के जाते ही क्यों गुम हो जाती है आकांक्षा और मेरा शहर मेरी पहल जैसी संस्थाएं! आलोक सिन्हा वर्तमान मंडलायुक्त और डीएम के सहयोग से पुनः संस्था के पदों पर करें तैनाती, पीएम के स्वच्छता अभियान को ?

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अफसरों के साथ मिलकर शहरों के सौंदर्यीकरण व जनहित में सरकार की योजनाओं को ध्यान में रखकर चलाए जाने वाले अभियान अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद एकदम कहां खो जाते हैं। जबकि सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण होते हैं लेकिन स्थानीय नागरिक जो अभियानों में हिस्सेदारी निभाते हैं उनकी मौजूदगी के बावजूद अभियान और संस्था का नाम ही गुम हो जाता है। जबकि अफसरों की तैनाती के चलते सुर्खियों में बनी रहने वाली संस्थाओं के चर्चे अपने शहर के साथ साथ दूर दूर तक होते हैं।
सर्वप्रथम बात करें पूर्व डीएम जो अब हमारे बीच नहीं है राधेश्याम कौशिक द्वारा जब १९८६/८७ में डीएम का चार्ज संभाला गया और स्टेडियम में वह घूमने आने लगे तो बड़े उद्योगपति दुष्यंत वार्ष्णेय सहित तमाम बड़े उद्योगपति और व्यापारियों से स्टेडियम गुलजार रहने लगा। उसके बाद जब दीपक सिंघल डीएम व कमिश्नर तथा अवनीश अवस्थी डीएम के पद पर रहे तो आकांक्षा नामक संस्था की चर्चा खूब थी क्योंकि अनीता सिंघल और मालिनी अवस्थी ने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से आकांक्षा संस्था के माध्यम से शहर में सफाई पुराने कपड़ों व दवाईयों का संग्रह तथा आसपास के गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगवाकर जो काम किया उसकी चर्चा बच्चे बच्चें की जुबान पर रही। बाद में डॉक्टर प्रभात कुमार कमिश्नर रहे तो मंडल के जिलों में नदियों नहरों व जलाशयों की सफाई के लिए जो अभियान चला उससे ऐसा लगता था कि अब साफ सुथरे जलाशय नहर नाले नजर आएंगे लेकिन उनका स्थानांतरण होते ही अभियान गुम हो गया। जब आलोक सिन्हा कमिश्नर रहे तो प्रीति सिन्हा द्वारा मेरा शहर मेरी पहल संस्था को पंजीकृत कराया गया और जहां तक मुझे ध्यान है शायद उस समय मेरा शहर मेरी पहल का अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री को बनाया गया और सचिव की कमान कमिश्नर आलोक सिन्हा ने संभाली। बताते हैं कि संस्था के संविधान के अनुसार अगर कैबिनेट मंत्री शहर से नहीं है तो कमिश्नर अध्यक्ष बताए जाते हैं। लेकिन आलोक सिन्हा का स्थानांतरण होने के बाद हर आदमी की जुबान पर मेरा शहर मेरी पहल का नाम ही धीरे धीरे गायब हो गया।
नागरिकों में भाईचारा सदभाव शहर के सौंदर्यीकरण के साथ ही इसके कई सेल बनाए गए। जिसके तहत यातायात शिक्षा सफाई सांस्कृति सौंदर्यीकरण टूरिज्म तथा महानगर को व्यवस्थित रखने आदि के अलग अलग विभागों में विशाल जैन, समाजसेवी अमित अग्रवाल, अमित नागर, एसके शर्मा, रोहित गुर्जर, अंकुश चौधरी, विपुल सिंघल आदि नाम जब तक आलोक सिन्हा यहां रहे चर्चाओं में रहते थे। यह कहने में हर्ज नहीं है कि उनके समय में काम भी खूब हुआ। स्वच्छता का संदेश देने के लिए मानव श्रृंखला बनाई गई जिसका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हुआ तो तमात पर्यटन व दर्शनीय स्थलों पर वरिष्ष्ठ नागरिकों व बच्चों को घुमाया थी जाता था। सफाई के लिए अभियान चलाए जाते थे। सौहार्द के लिए पतंग प्रतियोगिता और विचार गोष्ठी होती थी लेकिन २ नवंबर २०१५ को रस्साकशी प्रतियोगिता से शुरू हुई संस्था मेरा शहर मेरी पहल को लोग अब भूल चुके हैं।
एक समय था एक आवाज पर सैंकड़ों नागरिक मेरा शहर मेरी पहल अभियान की सफलता के लिए सड़क पर उतर आते थे। जगह जगह स्वच्छता होर्डिंग्स लगाए गए थे। अन्य काम भी उस दौरान हुए। लेकिन आलोक सिन्हा जाते समय शांति निकेतन स्कूल के चेयरमैन विशाल जैन की सक्रियता को देखते हुए उन्हें अपने स्थान पर सचिव बना गए। जानकारों का कहना है कि कुछ ही समय बाद विशाल जैन सचिव पद से उपसचिव पद से अमित अग्रवाल और कोषाध्यक्ष पद से एसके शर्मा द्वारा इस्तीफा दे दिया गया। तब से अब तक बताते हैं कि संस्था का कोई सक्रिय पदाधिकारी नहीं है।
कमिश्नर संस्थापक सचिव और कैबिनेट मंत्री अध्यक्ष शहर के प्रमुख उद्योगपति व व्यापारी सदस्यों वाली संस्था का बैंक खाते में १५ लाख जमा संचालन न होने से डोरमेट हो गया जिसकी केवाईसी कराने वाला भी कोई नजर नहीं आता है। ऐसी जनहित की संस्थाएं चलते चलते क्यों विलीन हो जाती है यह तो आप समझ गए होंगे कि जब तक अफसर मौजूद रहते हैं तब तक इनके इर्द गिर्द घूमने वाले लोगों व अन्य पदाधिकारियों पर आने वाला नया अधिकारी ध्यान नहीं देता तो संस्था चलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई देती। जैसा मेरा शहर मेरी पहल में दिखाई देता है।
इस संस्था के संविधान में बताते हैं कि राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय व्यक्ति नहीं होंगे लेकिन यह इसलिए सही नहीं लगता क्योंकि उस समय कैबिनेट मंत्री इसके अध्यक्ष थे। अंकुश चौधरी वर्तमान में आप के जिलाध्यक्ष हैं। रोहित गुर्जर कांग्रेस में शामिल हो चुके थे। एसके शर्मा आप के कोषाध्यक्ष हैं। अब प्रमुख रूप से विशाल जैन अमित अग्रवाल अमित नागर बचे तो यह भी इस्तीफ दे चुके हैं। शहर को इंतजार है कि इनमें से अथवा किसी अन्य व्यक्ति को आलोक सिन्हा या प्रीति सिन्हा ध्यान देकर सचिव उपसचिव कोषाध्यक्ष घोषित करें या वर्तमान अधिकारियों से मिलकर यह कार्य कराएं। शहर में जो गंदगी और अव्यवस्था कई सालों से दिखाई दे रही है उसमें सुधार के लिए मेरा शहर मेरी पहल का सक्रिय होना वक्त की सबसे बड़ी मांग कह सकते हैं।
मुझे लगता है कि पीएम के स्वच्छता अभियान प्रदूषण की रोकथाम और सौंदर्यीकरण के अभियानों के लिए प्रयासरत वर्तमान कमिश्नर व डीएम ध्यान देकर इन संस्थाओं का पुनर्गठन कर शहर को स्वच्छता का उपहार दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त कमिश्नर डीएम चाहे तो हरियाणा के सीएम द्वारा गुरुग्राम में ऐसी समस्याओं से नागरिकों को राहत दिलाने के लिए जो अभियान चलाया जा रहा है स्थानीय स्तर पर अधिकारी उस पर विचार कर ऐसे अभियान सामाजिक संस्थाओं को साथ लेकर चला सकते हैं और यह कहा जा सकता है कि इससे सरकार के कई अभियान साकार होंगे और सरकारी धन की भी बचत होगी और नागरिक सक्रिय हो सकते हैं। इस बारे में खबर के अनुसार हरियाणा शहर स्वच्छता अभियान के तहत गत दिवस गुरुग्राम में मेगा स्वच्छता अभियान में भागीदारी करने पहुंचे सीएम नायब सिंह सैनी झाडू लगाकर लोगों को स्वच्छता बनाए रखने का संदेश दिया।
सीएम ने कहा कि बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था प्रबंधन व जन भागीदारी के साथ गुरुग्राम को स्वच्छता रैंकिंग में नंबर वन बनाना है। उन्होंने कहा कि गुरुग्रामवासी स्वच्छ गुरुग्राम थीम के साथ स्वच्छ, शुद्ध व स्वस्थ गुरुग्राम बनाने में योगदान दें। सीएम ने मेगा स्वच्छता अभियान में सोहना चौक व सेक्टर 52 क्षेत्र में स्वयं सफाई की। इस मौके पर गुरुग्राम से विधायक मुकेश शर्मा व सोहना के विधायक तेजपाल तंवर भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने स्वच्छता मित्रों के साथ स्वयं भी श्रमदान किया और लोगों को स्वच्छता अपनाने के लिए प्रेरित किया।
आमजन को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि स्वच्छता हमारे जीवन का आधार है। ऐसे में सभी को मिलकर स्वच्छता को निरंतर जीवन शैली में अपनाकर सुखद माहौल बनाना है। सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि मेरा गुरुग्राम-स्वच्छ गुरुग्राम बनाने में हरियाणा सरकार हर संभव सहयोग देगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि अब वर्षा के मौसम के बाद गुरुग्राम जिला के लोगों की सुविधा के लिए विकास कार्यों को तेज गति से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में शहर स्वच्छता अभियान के तहत बड़ा सकारात्मक परिवर्तन नजर आएगा।
11 सप्ताह चलेगा विशेष अभियान
सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि इन 11 सप्ताह के विशेष अभियान में हर शहरी क्षेत्र के सुंदरीकरण व सुधारीकरण पर फोकस किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र की स्वच्छता रैंकिंग भी निर्धारित होगी जिसमें गुरुग्राम का उल्लेखनीय स्थान रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से हरियाणा में सेवा पखवाड़ा मनाने जा रहे हैं। इसमें स्वच्छता, वृक्षारोपण, स्वास्थ्य शिविर, खेलकूद जागरूकता गतिविधियों के साथ जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाएंगे। प्रदेश में सेवा पखवाड़ा 2 अक्टूबर तक चलेगा। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली, गुरुग्राम की मेयर राजरानी, जीएमडीए के सीईओ श्यामल मिश्रा, मंडलायुक्त आरसी बिढान, डीसी अजय कुमार, सीपी विकास अरोड़ा, नगर निगम गुरुग्राम आयुक्त प्रदीप दहिया, एचएसवीपी की प्रशासक वैशाली सिंह, अतिरिक्त निगम आयुक्त अंकिता चौधरी, मानेसर के निगम आयुक्त आयुष सिन्हा, एडीसी वत्सल वशिष्ठ, अतिरिक्त निगम आयुक्त रविंद्र यादव, एसडीएम बादशाहपुर संजीव सिंगला, पटौदी के एसडीएम दिनेश लुहाच, मानेसर के एसडीएम दर्शन यादव, सीटीएम सपना यादव, भाजपा गुरुग्राम के जिलाध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी तथा पार्षदगण उपस्थित रहे। अपने जनपद और शहर में भी गुरुग्राम की संस्थाओं की शाखाओं के साथ ही उत्साही नागरिकों की कमी नहीं है। अगर मेरा शहर मेरी पहल के संस्थापक आलोक सिन्हा प्रयास करें तो यह संस्था सक्रिय होकर काम कर सकती है। पूर्व में जैसे सूचना उपनिदेशक इंदर सिंह भदौरिया और उपनिदेशक सूचना सुरेंद्र शर्मा द्वारा इसमें भूमिका निभाई गई थी वैसे ही अब वर्तमान सूचना अधिकारी सुमित कुमार को संस्था के मनोनीत पदाधिकारी को साथ लेकर जनसहयोग लिया जा सकता है। कमिश्नर डीएम ध्यान दें तो मेरा शहर मेरी शहर जैसी संस्थाएं नगर की कई समस्याओं में ध्यान दे सकती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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