जैसे जैसे परिवारों में खुशहाली और आर्थिक मजबूती आ रही है वैसे वैसे भले ही नुकसान दायक हो लेकिन होटलों से खाना मंगवाकर खाने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। और जब से जौमेटो आदि द्वारा ऑनलाइन के लिए डिलीवरी दी जा रही है तब से कुछ परिवार बाहर से खाना मंगाने लगे हैं। शुरू शुरू में होम डिलीवरी उपलब्ध कराने वाले गंभीरता और अनुशासन से इस काम को कर रहे थे। लेकिन जैसे जैसे मांग बढ़ी जिम्मेदारी की बजाय लापरवाही ज्यादा सुनाई देने लगी। परिणामस्वरूप आर्डर उपभोक्ता कुछ दे उपलब्ध कुछ और करा दे। कोई ठोस कार्रवाई दोषियों के खिलाफ समय से हो नहीं पाती क्योंकि उपभोक्ता थोड़ा गुस्सा दिखाकर शांत हो जाता है और इनके कानों पर कोई जूं नहीं रेंगती। परिणामस्वरूप लोग मंगा रहे हैं शाकाहारी ये उपलब्ध करा देते हैं मांसाहारी। इसके दो तीन उदाहरण निकट भविष्य में ही सामने आ गए हैं। लखनऊ के आशियाना निवासी राकेश शास्त्री ने खाना चंद्रनगर के चाइल्ड फयूजन रेस्टोरेंट से चिली पनीर का आर्डर दिया गया लेकिन डिलीवरी ब्याय इमरान उसकी जगह चिकन चिली दे गया। परिवार के सदस्यों ने जब खाना शुरू किया तो देखा तो वह पनीर नहीं चिकन था। इस पर रेस्टोरेंट और डिलीवरी ब्वॉय इमरान पर मुकदमा दर्ज किया गया। बताते हैं कि इन्होंने ऐप पर रात आर्डर किया और जो आया उसे खाने के बाद अस्पताल जाना पड़ा। अब इस मामले में शास्त्री परिवार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रयास कर रहा है। दूसरे एक प्रकरण में जोधपुर के जिला उपभोक्ता अदालत द्वारा एक लाख रूपये का जुर्माना और मुकदमे के खर्च के पांच हजार रूपये ग्राहक को देने जौमेटो और उसके सहयोगी रेस्टोरेंट को देने के आदेश दिए है। इस रेस्त्रां पर शाकाहारी के बजाय मांसाहारी खाना भेजने पर यह जुर्माना किया गया। जौमेटा का कहना हे कि वह खाने के सामान की बिक्री के लिए सुविधा उपलब्ध कराने वाला प्लेटफार्म है। गलत खाना डिलीवरी के लिए भागीदार रेस्त्रा जिम्मेदार है।
अगर प्रथम दृष्टया देखा जाए तो जौमेटो का कथन सही भी प्रतीत होता है। क्योंकि उसे सप्लाई पहुंचानी है। लेकिन अपनी इस लापरवाही से वह बच नहीं सकता कि उसने डिलीवरी लेते समय यह क्यों नहीं पूछा कि इसमें क्या था। और जो पैकिंग थी उस पर क्या लिखा था। इसलिए दोषी तो जौमेटो का डिलीवरी ब्वॉय भी है। लेकिन ज्यादा दोषी तो रेस्त्रा और होटल जो ग्राहक को ऑर्डर के विपरीत खाना उपलब्ध करा रहा है वो दोषी है। भोजन के मामले में तो यह लापरवाही होनी ही नहीं चाहिए क्योंकि जो लोग शुद्ध शाकाहारी होते हैं उनके मुंह में तो एक टुकड़ा मांस का जाना उनके मरने और धर्म भ्रष्ट होने के समान हैं।
मेरा मानना है कि उपभोक्ता इन मोटी कमाई करने वाले रेस्टोरेंट से उलझ नहीं पाता है क्योंकि उसकी जान को पचास काम होते हैं। ऐसे मामलों में जो चक्कर काटने पड़ते हैं उससे उसके बाकी कार्य प्रभावित होते हैं इसलिए शाकाहारी नागरिकों का धर्म भ्रष्ट करने और उन्हें धोखे से मांसाहारी बनाने के प्रयास के लिए सजा दिलाने और इनके लाइसेंस निलंबित कराने हेतु देशभर में सक्रिय शाकाहार को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं को आगे आकर काम करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों के व्यक्तिगत आधार पर या गूगल से प्राप्त कर शाकाहारी की जगह मांसाहारी परोसने के लिए जितने भी दोषी होटल या रेस्टोरेंट है उनके लाइसेंस निलंबित कराने के साथ ही ग्राहक को हर्जाना दिलाने के लिए कोर्ट का सहारा लेने के लिए शाकाहारी संस्थाओं को शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर दिलाने हेतु धरने प्रदर्शन के साथ ही ज्ञापन देकर कार्रवाई करानी चाहिए। क्योंकि संगठन किसी भी संस्था का हो उसमें ताकत होती है। उसके सदस्य हर मामले मेें सक्रिय होकर पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्षम कहे जा सकते हैं। कुल मिलाकर कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि मैकडोनाल्ड हो या कोई और इनके द्वारा अपनी खाद्य सामग्री का भुगतान और लाभ लिया जाता है तो उन्हें सावधानी भी बरतनी होगी। इस जिम्मेदारी से वो बच नहीं सकते। सरकार को चाहिए कि हर होटल की पैंकिंग पर लिखा हो अंदर शाकाहारी भोजन है या मांसाहारी।
शुद्ध की जगह मांसाहारी खाना देने के लिए जौमेटो और मैकडोनाल्ड पर हुआ एक लाख का जुर्माना, शाकाहारी संस्थान ऐसे होटलों के लाइसेंस कराएं निलंबित, पैंकिंग पर लिखा हो खाने का नाम
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