मेरठ 04 जून (प्र)। पराग दुग्ध संघ गगोल के दुग्ध प्लांट के लिए फर्जी तरीके से दूध तोलना, किसानों की बजाय फर्जी संस्थाओं से दूध लेना, ठेकेदारों के फर्जी बिल बनाने, फर्जी तरीके गाड़ियों का भुगतान निकालने और गलत तरीके से कुछ लोगों को नौकरी देने व भ्रष्टाचार किए जाने के आरोपों की गूंज मंगलवार को लखनऊ विधान सभा आयोजित प्राक्कलन समिति की बैठक में रही।
प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अमित अग्रवाल के सामने उप्र के लगभग 20 विधायकों ने पराग डेयरियों में किसानों का समय पर भुगतान न किया जाना, पराग डेयरियों पर अधिक खर्च डालकर सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने जैसे आरोप लगाए।
मेरठ से किठौर विधायक शाहिद मंजूर ने कहा कि पश्चिम उप्र में पराग दुग्ध प्लांट मेरठ और मथुरा, अलीगढ़, हाथरस से जुड़े दुग्ध उत्पादक किसानों को समय पर दूध का भुगतान नहीं मिल रहा है। इसके कारण कई प्लांट बंद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2016 में सपा सरकार के कार्यकाल में मेरठ में बड़े दुग्ध प्लांट का ऑटोमेटिक प्लांट की नींव रखी गई थी। 182 करोड़ रुपये की मशीनें फ्रांस से मंगवाई गई थी उसी समय बिल्डिंग निर्माण भी शुरू किया गया था। 2017 में सरकार बदलने के बाद इसकी समीक्षा हुई। सरकार ने 2019 में फिर से प्लांट का काम चालू करने के निर्देश दिए गए। 2023 में उप्र सरकार ने लगभग 56 करोड़ प्लांट के लिए दिए, लेकिन काम नहीं चला। यह हाल तब है जबकि यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है।
विधायक ने आरोप लगाए कि दुग्ध प्लांट के अधिकारियों ने बगैर परमिशन के ही नए प्लांट की मशीनें नोएडा भेज दी। उन्होंने कहा कि मेरठ गगोल दुग्ध संघ प्लांट 2016 में साढ़े तीन करोड़ के लाभ में था जो अब 54 करोड़ के घाटे में है। सरकार भी कई बार बजट दे चुकी है। इसके बावजूद किसानों का समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। इन्होंने कहा कि किसानों की संस्था को मिलीभगत करके लूटा जा रहा है। कुछ ही समय पहले अधिकारियों ने प्लांट से 12 करोड़ का स्क्रेप भी बेच दिया। प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अमित अग्रवाल ने विधायकों द्वारा रखे गए मामलों को गंभीरता से सुना और बैठक में उपस्थित दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमित घोष, एमडी वैभव मिश्रा और कमिश्नर राकेश मिश्रा को सभी मामलों की जांच कराने के निर्देश दिए।
