मेरठ 09 जून (प्र)। एनसीआर सहित रोडवेज बेड़े से बाहर हो रही 10 साल पुरानी डीजल बसों को यूपी रोडवेज अब न तो प्रदेश के दूसरे डिपो में संचालन के लिए देगा और न ही इनकी नीलामी करेगा। रोडवेज ने उम्र पूरी कर चुकी रोडवेज बसों को इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) में कंवर्ट करना शुरू कर दिया है।
पहले चरण में दो बसों पर किया गया प्रयोग सफल होने पर अधिकारियों की बांछें खिल गई हैं। रोडवेज मुख्यालय ने अब 500 डीजल बसों को ई-बस में कंवर्ट करने का लक्ष्य तय कर दिया है। डीजल से ई-बस में कंवर्ट होने वाली बसों को वापस डिपो में संचालन के लिए भेजा जाएगा। डीजल बस को ई-बस में कंवर्ट करने में करीब 90 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। नई इलेक्ट्रिक बस की लागत डेढ़ करोड़ से ज्यादा है। एनजीटी के आदेशानुसार एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों का संचालन प्रतिबंधित किया गया है। रोडवेज ने इन बसों को रिट्रोफिटमेंट के जरिये इलेक्ट्रिक बस में तब्दील कराना शुरू कर दिया है। रोडवेज की कानपुर स्थित राम मनोहर लोहिया केंद्रीय कार्यशाला में कल्याणी पावर ट्रेन लिमिटेड और मेसर्स जीरो ट्वेंटी वन फर्म के द्वारा बसों का रिट्रोफिटमेंट कार्य किया जा रहा है। दो बसों को बदला जा चुका है। दोनों बसों को झांसी-ललितपुर रूट पर चलाया जा रहा है।
ये होगा इलेक्ट्रिक बसों का फायदा
डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बस में बदलने से न केवल पर्यावरण संरक्षित होगा बल्कि यात्रियों को भी बिना शोर के ही आरामदायक सफर का लाभ मिल सकेगा। परिवहन निगम को भी लगातार बढ़ रही डीजल की कीमतों से बढ़ रही लागत और यात्रियों को बढ़े किराये से छुटकारा मिलेगा।
डॉ राममनोहर लोहिया केंद्रीय कार्यशाला कानपुर सर्विस मैनेजर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि रोडवेज अब अपनी 10 साल पुरानी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में कन्वर्ट करा रहा है। अभी तक दो बसों को ई-बस में कन्वर्ट कराया गया है जिसका ट्रायल पूरी तरह सफल रहा है। प्रयोग सफल होने पर अब शासन ने 500 डीजल बसों को ई-बस में बदलवाने का लक्ष्य तय किया है।