वैसे तो जनपद में तमाम जनप्रतिनिधि हैं और जनहित का काम भी कर ही रहे हैं लेकिन बीते शनिवार को राज्यसभा सदस्य भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एक फौजी के साथ मारपीट से गुस्साए नगर निगम में पहुंचकर एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि वाजपेयी के तेवर और काम कराने का तरीका सीएम और पीएम की भावनाओं के तहत है। क्योंकि दो माह से लंबित मृत्यु प्रमाण पत्र तुरंत बन गया और इस काम में लगे दलाल मैदान छोड़कर भाग गए। दो अनुचरों को निलंबित किया गया और एक को बर्खास्त। पूर्व में बागपत और रेलवे रोड़ लिंक मार्ग की फाइल को लेकर ऐसा ही हुआ था। आठ माह तक मेडा कार्यालय में घूमती रही फाइल वाजपेयी जी के पहुंचते ही कुछ ही घंटे में दफतर से निकलकर संबंधित विभागों तक पहुंच गई और वर्तमान में लिंक मार्ग का कार्य प्रगति पर है। आज एक सज्जन की यह बात बिल्कुल सही लगी कि डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की कार्यप्रणाली उनके 80 के दशक वाली ही है और इनके तेवरों से जनसमस्याओं का समाधान मिनटों में हो जाता है। दूसरे सज्जन बोले कि उनके समकक्ष अन्य जनप्रतिनिधि भी ऐसा ही प्रयास करते तो प्रधानमंत्री का भ्रष्टाचार मुक्त शासन का सपना अब तक साकार हो चुका होता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वाजपेयी के तेवर से हो जाता है महिनों का काम मिनटों में
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