Sunday, December 22

नगर निगम तर्पणः महापौर जी आपकी नाराजगी जायज है, लेकिन दुखी पार्षद क्या करें, और विभागों को सुधारने की बजाए नगर निगम पर ध्यान दीजिए

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मेरठ 28 सितंबर (शहर प्रतिनिधि)। सड़कों में गड्ढ़े पथ प्रकाश का आभाव जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनने में परेशानी आवारा कुत्तों का आतंक और संपत्ति विभाग की लापरवाही के चलते आम आदमी को हो रही परेशाानी और खासकार भाजपा के पार्षदों की अपने क्षेत्र में खराब हो रही छवि के कारण नगर निगम में स्थित महापौर कार्यालय के समक्ष गत दिवस वार्ड 58 के पार्षद सुमित शर्मा व वार्ड 67 के गगनदीप गौतम के द्वारा पंडित को बुलाकर मार्ग प्रकाश विभाग निर्माण विभाग पशु चिकित्सा स्वास्थ व संपत्ति विभाग आदि निगम के इन पांच विभागों को मृत बताकर किया गया तपर्ण। इस संदर्भ में अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय को एक ज्ञापन देकर पार्षदों ने स्पष्ट कहा कि अगर समस्याओं का समाधान और सुधार शीघ्र नहीं हुआ तो करेंगे पिण्डदान एवं हनुमान चालीसा का पाठ। बताते है कि महापौर हरिकांत अहलूवालिया काफी आह्त व नाराज दिखाई दिये। उनका कहना था कि विकास कार्य न होने की शिकायत पार्षदों को करनी चाहिए थी लेकिन श्राद्धया हंगामा करने की जरूरत नहीं थी। अधिकारियों से बातचीत करेंगे और पार्षदों के वार्ड में जो कार्य अधूरे है वो पूरे कराये जाएंगे।

पिछले कुछ महीनों में मामला हरित प्राधिकरण लगाये गये जुर्माने का हो या बिना कार्य हुए उसे पूर्ण बताने का सफाई का हो या जल भराव का महापौर द्वारा इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त टिप्पणी भी की गई और वो मुखर भी हुए तथा अधिकारियों से नाराजगी भी व्यक्त की गई। जिसको लेकर नगर निगम क्षेत्र के नागरिकों को आशा बंधी थी कि अब कुछ न कुछ सुधार जरूर होगा। क्योंकि जब वर्तमान महापौर हरिकांत अहलूवालिया जी द्वारा अपना कार्यभार संभालने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मुलाकात की गई थी तो उन्हें स्पष्ट आश्वासन मिला था कि वो काम करे सरकार साथ है कोई भी परेशानी है तो समाधान कराया जाएगा उसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों का जो रवैया टूटी सड़कों में सुधार उन्हें गढ्डा मुक्त करने पथ प्रकाश सुधारने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में तेजी लाने आवारा कुत्तों के आतंक से जनता को छुटकारा दिलाने आदि के जो कार्य सुचारू होने चाहिए थे वो तो नहीं हुए इतना ही नहीं कहीं सुधार भी नजर नहीं आया चाहे मामला जल भराव का रहा हो या सफाई का। हां इतना जरूर हुआ कि अपने पूरे कार्यकाल में दोष किसी का भी रहा हो हर मामले में विवादित और उसका सुधार करने में कामयाब नहीं रहे पूर्व नगर आयुक्त को प्रयागराज विकास प्राधिकारण का उपाध्यक्ष बनाकर उत्कृत जरूर किया गया। अब नये नगर आयुक्त आये है हर क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास भी कर रहे है जनता से भी मिल रहे है और मौका निरीक्षण भी कर रहे है। लेकिन अभी तक तो कहीं सुधार की कोई गुन्जाईश नजर आती नहीं है। भविष्य में क्या होगा यह अलग बात है मगर बीते दिवस पार्षदों ने वाहन डिपो घोटाले को लेकर नगर आयुक्त से अपनी नाराजगी व्यक्त की और निगम के अन्य विभागों में भी नये नगर आयुक्त का डर तो नजर आ रहा है लेकिन काम में सुधार हो रहा हो ऐसा नागरिकों का मानना नहीं है।

महापौर जी पार्षद चाहे भाजपा के हो या अन्य अपने अपने क्षेत्रों का काम कराने के लिए सब आपके साथ खड़े नजर आते है इसके बावजूद भाजपा के पार्षदों को इतना सख्त निर्णय क्यों लेना पड़ा कि निगम के पांच विभागों को मृत मानकर उनका तर्पण किया गया। और अब हनुमान चालीसा और पिण्ड दान करने की बात हो रही है। इसलिए इस संदर्भ में सोचने की आवश्यकता है गुस्सा करने की जरूरत नहीं। पार्षदों को भी जब जनता जली कटी सुनाती है और आगे का भविष्य भी वर्तमान परिस्थितियों में अंधकारमय नजर आ रहा है और आपकी भी अधिकारी सुनते नहीं ऐसी परिस्थितियो में आखिर पार्षद कुछ तो करेंगे ही। क्योंकि अगर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा तो सब यह समझते है कि सब सही चल रहा है और जनता संतुष्ट है।

महापौर जी आप इस समय पूरी मेहनत कर रहे है कि सुधार हो मगर अन्य विभागों के अधिकारियों को सुधारने या उनकी शिकायत करने में अपनी ऊर्जा लगाने की बजाए अगर आप भाजपा सहित सभी पार्षदों को साथ लेकर अपने विभाग के अधिकारियों को जनहित के काम करने के लिए मजबूर करे। और अगर वो ऐसा नहीं करते तो माननीय मुख्यमंत्री जी से शिकायत आपके द्वारा की जाए तो अगर जनता और पार्षदों की सभी शिकायते दूर नहीं होगी तो भी काफी का समाधान भी आपके प्रयासों से हो सकता है। क्योंकि केन्द्र और प्रदेश में सरकार भी आपकी है और स्थानीय विधायक सांसद और एमएलसी और राज्यसभा सदस्य भी आपको र्स्पोट करते है भाजपा का शहर व जिला संगठन भी आपके साथ खड़ा है तो आप भी थोड़ा गांधी वाद तरीके से सक्रिय होकर जहां जिससे भी सुधार हो सकता है कराने का प्रयास करिये तभी पार्षदों व नगर निगम संबंधी जनता की शिकायतें दूर हो सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक पत्रकार)

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