मेरठ, 11 जनवरी (वि)। केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ की पंचवार्षिक समीक्षा दल (क्यूआरटी) की बैठक में संस्थान में किए जा रहे आविष्कार और अन्य कार्यों पर हुई चर्चा। यह छठी क्यूआरटी टीम की चौथी बैठक थी। जो तनुवास, चेन्नई के पूर्व कुलपति डॉ. सी. बालाचंद्रन की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
गौ पशु निदेशालय संस्थान के निदेशक डॉ. ए. के. मोहंती ने संस्थान की नयी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद, पी.एम.ई. सेल के प्रभारी डॉ.राजीव रंजन कुमार, प्रधान वैज्ञानिक ने चल रहे अनुसंधान परियोजनाओं एवं प्रमुख उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. सी. बालाचंद्रन ने विभिन्न एफ.पी.टी. एवं आई.बी.पी. इकाई में क्यूआरटी टीम के दौरे और अवलोकन के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की। क्यूआरटी के सदस्य सचिव डॉ. सुशील कुमार ने बैफ (बी.ए.आइ.एफ.) पुणे, गिर इकाई एवं कांकरेज इकाई, गुजरात की रिपोर्ट प्रस्तुत की। वैज्ञानिकों द्वारा संस्थान के नये प्रभागध्अनुभाग गोवंश उपयोगिता प्रभाग, गोवंश उत्पादन एवं प्रबंधन प्रभाग, पशु जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, गोवंश स्वास्थ्य प्रभाग और सामाजिक विज्ञान प्रभाग का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
क्यूआरटी टीम ने बाबूगढ़, हापुड में संस्थान के नए परिसर के लिए मास्टर प्लान पर भी महत्वपूर्ण इनपुट दिया। समिति सदस्यों ने प्रशासनिक, तकनीकी और सहायक कर्मचारियों से भी बातचीत की और संस्थान के भविष्य के कार्यक्रम के बारे में उनकी राय ली। क्यूआरटी टीम ने गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के मार्गदर्शन में काम कर रहे आस-पास के प्रगतिशील किसानों, स्वयं सहायता समूहों एवं एफ.पी.ओ. का दौरा किया।
समिति सदस्यों ने गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ द्वारा आयोजित विभिन्न वैज्ञानिक कार्यक्रमों की कार्यवाही और अनुशंसाओं का भी अध्ययन किया। संस्थान के लिए भविष्य की गतिविधियों, अनुसंधान कार्यक्रम के बारे में अपनी सिफारिश जल्द ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुख्यालय को सौंपने की संभावना है। सदस्य सचिव डॉ. सुशील कुमार द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम समाप्त हुई। इस अवसर पर समिति के सदस्य डॉ. पी. एस. बिरथल निदेशक, एन.आई.ए.पी., नई दिल्ली, डॉ. बी. के. जोशी, पूर्व निदेशक, एन.बी.ए.जी.आर., करनाल, डॉ. बी. एस. प्रकाश, पूर्व ए.डी.जी. (ए.एन.पी.), भाकृअनुप, नई दिल्ली एवं डॉ. ए. आनंद, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, तिरुपति भी उपस्थित थे।