आए दिन गरीब हो या अमीर उपभोक्ताओं को ठेले पर सामान बेचने से लेकर होटलों में परोसने तक हलवाईयों की दुकान पर मिठाई के साथ डिब्बा तोलने या नापने की खबर सुनने को खूब मिलती है। ऐसा नहीं है कि सरकार ने उपभोक्ता के इस नुकसान से बचाने हेतु नियम कानून ना बना रखे हों लेकिन कुछ तो हमारी लापरवाही की अब कौन शिकायत करे और कुछ कम तोलने से रोकने के लिए बाट माप विभाग के अधिकारियों की उदासीनता या जनता के अनुसार सुविधाशुल्क का दबाव जो भी हो कम नापने तोलने व परोसने की प्रवृति बढ़ती ही जा रही है।
लेकिन हमें इसका ज्ञान नहीं है कि बाट माप विभाग को जो ताकत सरकार द्वारा दी गई है। उससे अगर हम आवाज उठाए तो ये कुछ लोगों की कम माल देने की प्रवृति पूरी तौर पर समाप्त हो सकती है। इसके उदाहरण के रूप में हम इस खबर को देख सकते हैं। झांसी में कोलकाता की एक ब्रांडेड कंपनी का दुपट्टा 10 सेमी छोटा निकलने पर अफसर ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। चोरी तब पकड़ी गई जब शोरूम में बाट-माप विभाग ने शक होने पर नाप की। शहर में इलाइट चौराहे के पास शोरूम ने बेदांत लिमिटेड कंपनी की फ्रेंचाइजी ले रखी है। गत बुधवार को बाट-माप विभाग के वरिष्ठ निरीक्षक दयाराम गुप्ता शोरूम में पहुंचे और दुपट्टे की जांच की। मौके पर ही दुपट्टे की लंबाई नपवाई। जो दस सेमी कम निकली।
प्रिय पाठकों इस समाचार से पता चलता है कि होटल हो या दुकान ठेला हो या पटरी वाला अगर हमें एक ग्राम भी कम तोलता है तो उसके खिलाफ कितनी बड़ी कार्रवाई और कितनी सजा हो सकती है उसका अहसास होता है। क्येांकि जब एक ब्रांडेड कंपनी के 10 सेमी छोटे दुपपटे पर एक लाख का जुर्माना हो सकता है तो इसे ध्यान में रखकर महंगाई के इस माहौल में जितना पैसा दिया उतना माल लेने और कम माल तोलने परोसने या नापने वालों के खिलाफ कार्रवाई कराने का संकल्प करें ना खुद नुकसान उठाएं ना दूसरों को उठाने दें। इसके लिए एक संगठन बनाकर गांधीवादी तरीके से पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग लेकर इन कम तोलने नापने वालों को बेनकाब करें। देशहित में यह दोनो ही बात जरूरी है।
कम तोलने परोसने और नापने वालों के खिलाफ ? दस सेमी छोटी निकला दुपटटा, ब्रांडेड कंपनी पर हुआ एक लाख का जुर्माना
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