मेरठ 27 मार्च (प्र)। सवा चौबीस साल पूर्व शाहिद मंजूर और उनके समर्थकों पर पैतृक आवास में हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने तमाम नामजदों को मुजरिम करार देते हुए छह-छह वर्ष की सजा सुनाई है। हालांकि इनमें एक मुजरिम की वाद विचाराधीन के दौरान मौत हो चुकी है। सजा होते ही मुजरिमों के चेहरों पर मायूसी और परिवारों में हड़कंप मच गया। मुजरिमों के परिजन न्याय के लिए अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
26 नवंबर, 2000 को शाहिद हसन उर्फ (शाहिद मंजूर ) पुत्र मंजूर अहमद वर्तमान किठौर विधायक ने किठौर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 25 नवंबर की शाम उनका चचेरा भाई शम्स परवेज लगातार दूसरी बार चेयरमैन का चुनाव जीतकर आया था। जिसकी खुशी में मेरठ शहर व कस्बे के कुछ लोग सुबह लगभग 8:30 बजे बधाई देने उनके घर पर आए हुए थे। तभी अवैध बंदूक, राइफल और तमंचों से लैस कस्बे के मारूफ, फारुक (फौजी), आफताब उर्फ कलवा पुत्र यूसुफ, अपने चचेरे भाइयों मकसूद, इनाम उर्फ नम्मू पुत्र माशूक भतीजे नदीम पुत्र महफूज और सलीम पुत्र रियासत ने अपनी बैठक और मस्जिद की छत से शाहिद हसन के घर की घेराबंदी कर गाली-गलौज और जीत का मजा चखाने की धमकी देते हुए अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आरोपियों की मंशा भांप शाहिद हसन ने घर के अंदर जमीन पर लेटकर अपनी जान बचाई। बताया कि इस घटना में मौके पर बैठे छोटे पुत्र काले हरिजन, लईक पुत्र मुहम्मद अली, महबूब पुत्र शेरजमा निवासी किठौर व शम्सुद्दीन पुत्र मंजूर निवासी मेरठ गोली लगने से घायल हो गए। घर के दरवाजों, खिड़कियों पंखों पर भी गोलियों के निशान बताए गए थे। यह मामला फिलहाल एडीजे कोर्ट-16 में विचाराधीन था।
बीती 21 मार्च को दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए आदेश तिथि 26 मार्च बता दी गई। बुधवार को एडीजे नुसरत खान ने तमाम आरोपियों को दोषी करार देते हुए छह मुजरिमों को छह-छह वर्ष की सजा सुनाई है। जबकि वाद विचाराधीन के दौरान मकसूद की मृत्यु हो चुकी है। कोर्ट का आदेश सुनते ही मुजरिमों के चेहरों पर मायूसी और परिजनों में हड़कंप मच गया। अब मुजरिमों के परिजन न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।