Tuesday, October 28

डीएम साहब मुनाफाखोर नारियल पानी विक्रेताओं के विरूद्ध हो कार्रवाई, गरीब आदमी के हित में लगवाई जाए रेट लिस्ट

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मेरठ 12 अप्रैल (प्र)। सरकार प्रशासन के द्वारा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में शासन की नीति के अनुकूल मध्यम दर्जे के व्यक्ति को ही नहीं सबको सही दरों पर सामान की उपलब्धता कराने के लिए भरपूर प्रयास किये जा रहे है और कई प्रकार से निशुल्क या सस्ती चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। मगर देखने में आ रहा है कि अगर कोई उद्योगपति या व्यापारी दस प्रतिशत प्रॉफिट लेकर काम करता है तो उसे जमाखोर की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया जाता है। लेकिन गरीब व मध्यम दर्जे के व्यक्ति की बीमारी आदि में डाक्टरों द्वारा हरे नारियल का पानी पीने की दी जाने वाली सलाह उन्हें काफी महंगी पड़ रही है। क्योंकि कई नागरिकों का कहना है कि अपने आप को गरीब बताने वाले सड़कों के किनारे नारियल पानी बेचने वाले गरीब का ही आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न 50/60 रूपये का नारियल 80 रूपये में बेचकर खुले आम कर रहे है। कई जरूरतमंद लेकिन इतना महंगा खरीदने से मजबूर नागरिकों का कहना था कि ना तो यह नारियल पानी विक्रेता इनकम टैक्स देते है और ना ही व्यापार कर और ना ही इनके पास कर्मचारियों का खर्च है और ना ही जमीन का किराया। लेकिन 50/60 का नारियल लाकर 80 रूपये में बेचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। और सबसे बड़ी बात यह है कि इन लोगों ने मुनाफाखोरी का एक नया रास्ता ढूंढ लिया है। कि पूरे शहर में आप कहीं भी लेंगे तो 80 रूपये का ही नारियल मिलेगा। इसलिए मरता क्या नहीं करता वाली कहावत चरितार्थ करते हुए गरीब आदमी इनके मुंहमांगे दाम देकर डाक्टर की सलाह पर नारियल खरीद रहा है। कई जानकारों का कहना है कि दुकानों पर तो चीजों की रेट लिस्ट लगवाई जाती है आलू टमाटर प्याज सरकार सस्ती दरों पर बिकवा रही है तो फिर नारियल पानी पर मुनाफाखोरी करने वालों पर रहम क्यों। कई सेवाभावी जागरूक नागरिकों का कहना है कि जिलाधिकारी जी ज्यादा मुनाफाखोरी रोकने और सही दाम पर उपभोक्ता को खाद्य सामग्री मिले इससे संबंध अधिकारियों को सक्रिय कर यह पता कराया जाए कि थोक में नारियल पानी कितने का आ रहा है। और वैसे तो पांच रूपये भी ज्यादा है मगर फिर भी प्रति नारियल पर पांच रूपये का प्रॉफिट लेकर हर विक्रेता द्वारा एक सूची लगवाई जाए कि इतने का नारियल आया और इतने का बेच रहे है और इसका पालन न करने वालों को भेजा जाए जेल। क्योंकि पहले तो ये लोग गरीब नहीं है हजारों रूपये रोज कमा रहे है। और है भी तो ये उत्पीड़न उन्हीं का कर रहे है जो आसानी से दवाई के रूप में भी इनकी मुनाफाखोरी के चलते नारियल पानी पीने में सक्षम नहीं हो रहे है।

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