Saturday, July 12

डा0 रविन्द्र राणा ने उठाया गंभीर मुद्दा, कैन्ट पुस्तकालय में दुकाने बनने से क्या सरकार की शिक्षा को बढ़ावा देने की नीति का पीएम का सपना हो पाएगा साकार

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मेरठ 30 अप्रैल (प्र)। केन्द्र और प्रदेश की सरकारें साक्षरता बढ़ाने और हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने हेतु भरपूर प्रयास कर रही है। और इसके लिए करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर पुस्तकालय व वाचनालय खुलवाये जा रहे है। और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें आधुनिक रूप दिया जा रहा है। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार डा0 रविन्द्र राणा संपादक यूट्युब चैनल पॉलीटिक्ल अड्डा अपने चैनल पर 1953 में वेस्ट एण्ड रोड़ पर पानी की टंकी पर बनाये गये पुस्तकालय को व्यवसायिक रूप दिये जाने का मुद्दा बड़े ही गंभीर रूप में उठाया गया है। उनकी खबर के अनुसार 1857 के स्वत्रंता संग्राम के बाद मिली आजादी के समय देश के विकास और नागरिकों में जागरूकता की बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा पर विशेष जोर स्वत्रंत भारत की सरकारों द्वारा दिया जाने लगा और इसकी क्रम में बताते है कि इस पुस्तकालय का निर्माण हुआ। रविन्द्र राणा ने लिखा कि कैन्ट बोर्ड ने पुस्तकालय में दुकानें खोलने का प्रस्ताव पास कर दिया है बस ऊपर से हरी झंड़ी मिलने का इंतजार है। अगर यह अनुमति मिल जाती है तो यह स्पष्ट है कि पढ़ाई और ज्ञान ही नहीं अब सरकारी विभागों को सिर्फ धंधा और मुनाफा ज्यादा जरूरी हो गया है। क्या माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा जो भारतीय संस्कृति और विरासत व शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है वो पुस्तकालय दुकानों में तब्दील हो जाने से बच पाएंगी। पॉलीटिक्ल अड्डा पर छपी खबर के अनुसार 20 साल से तो इस पुस्तकालय में किताबें नहीं खरीदी गई क्या केन्द्र और प्रदेश सरकार की इस संदर्भ में बनाई गई नीति इन पर लागू नहीं होती। इस विषय में केन्द्रीय रक्षा मंत्री और विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारियों को सोचना होगा क्योंकि अगर ऐसे निर्णय साकार हुए तो पैसा कमाने की होड़ में हमारी शिक्षा को बढ़ावा देने और संस्कृति को बचाने की जो योजनाऐं है वो सिर्फ थोड़े से व्यापार के लिए कागजों में सिमटकर रह जाएगी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

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