देशभर मेें जैसे जैसे बीमारियां बढ़ रही है वैसे वैसे डॉक्टरों की कमी और ज्यादा धन कमाने के चक्कर में नौकरी से गायब होने वाले चिकित्सकों की संख्या में चर्चा अनुसार निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। उप्र के उपमुख्यमंत्री डॉ. ब्रजेश पाठक के हवाले से छपी एक खबर के अनुसार बिना बताए प्रदेश में 631 चिकित्सक नौकरी से गया है। जिनकी सूची तैयार हो चुकी है। अभी तक 65 डॉक्टरों को बर्खास्त किया जा चुका है। खाली हो रहे पदों पर भर्ती की जाएगी।
खबर के अनुसार अपना क्लीनिक खोलने के लिए ज्यादातर ऐसे डॉक्टर या तो गायब हो जाते है या अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की बजाय सरकारी नौकरी में रहते हुए ही प्राइवेट प्रैक्टिस में ज्यादा ध्यान लगाने लगते हैं। इससे संबंध एक खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश में 631 डाक्टर ऐसे हें जो बिना बताए नौकरी से गायब चल रहे हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार की गई इस सूची में ज्यादातर स्थाई पदों पर भर्ती हुए चिकित्सक हैं। फिलहाल अभी तक 65 डाक्टरों को बर्खास्त किया जा चुका है।
शासन स्तर पर स्क्रीनिंग कर एक के बाद एक डाक्टर पर कार्रवाई की जा रही है। डाक्टरों के खाली हो रहे पदों पर भर्ती जल्द शुरू की जाएगी। ऐसे में अब आगे कार्रवाई की प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा। उत्तर प्रदेश उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि बिना बताए अनुपस्थित चल रहे डाक्टर जो विभाग द्वारा जारी नोटिस का जवाब भी नहीं दे रहे, उनकी सूची तैयार कर लगातार कार्रवाई की जा रही है। इस सूची में ज्यादातर स्थाई चिकित्सक हैं। ऐसे में उनके खाली पदों पर नए चिकित्सकों को भर्ती किया जाएगा। प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग के डाक्टरों कुल 19,500 पद हैं और इसमें से 11 हजार पद भरे हुए हैं। वहीं इसमें से 631 चिकित्सक गायब चल रहे हैं। जिलों से मुख्य चिकित्साधिकारियों द्वारा ऐसे डाक्टरों के नाम स्वास्थ्य महानिदेशालय भेजे जाते हैं जो बिना बताए गायब चल रहे हैं और नोटिस का जवाब भी नहीं दे रहे। फिर स्वास्थ्य महानिदेशालय जिलों से भेजी गई ऐसे डाक्टरों की सूची को शासन को भेजता है और फिर बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू की जाती है। फिलहाल शासन को भेजी गई सूची में जिन चिकित्सकों के नाम हैं उन्हें स्वास्थ्य महानिदेशालय के माध्यम से जिलों को भेजकर दोबारा परीक्षण किया जा रहा है ताकि कार्रवाई की प्रक्रिया में कोई त्रुटि न हो। दरअसल, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी और काम का ज्यादा बोझ होने के चलते डाक्टर कुछ दिनों तक तोे सरकारी सेवा में रहते हैं फिर वह प्राइवेट अस्पताल या खुद की क्लीनिक खोलकर निजी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं। इस सूची में कई डाक्टर ऐसे हैं जो बीते दो-तीन वर्षों में हुई भर्ती में नियुक्त हुए थे और कुछ दिन बाद ही बिना बताए लापता हो गए।
मेरा मानना है कि जब तक एक युवा डॉक्टर बनता है तब तक सरकार का भी बजट और सुविधाएं इस काम में लगती है। डॉक्टर भी डिग्री प्राप्त करते हुए सेवाभाव से काम करने और जरूरतमंदों की मदद की शपथ लेते हैं लेकिन फिर कुछ दिनों बाद वो सबकुछ भूलकर धन कमाने की अंधी दौड़ में शामिल हो जाते हैं। मुझे लगता है कि बिना बताए नौकरी से गायब होने वाले या सेवा अवधि से पूर्व नौकरी छोड़ने वालों से वो सारी वसूली की जाए जो उन पर सरकारी की ओर से खर्च हुई जब यह डॉक्टरी की पढ़ाई की शुरूआत करते हैं तो इनसे शपथ पत्र भरवाया जाए कि बिना बताए नौकरी नहीं छोड़ेंगे। कार्य अवधि में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। जरूरतमंदों की हर मदद इनके द्वारा की जाएगी और मरीज को सही दवाई ही देंगे। विदेशी टूर कराने और उपहार देने वाली दवा कंपनियों से दूरी बनारक रखेंगे। मेरा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से आग्रह है कि नौकरी की शर्ताें का उल्लंघन करने वालों की बर्खास्तगी ही नहीं उन्हें ऐसी सजा भ्ीा मिले जिससे भविष्य में हमारे युवा शुरू से ही ऐसी सोच बनाकर चलें कि उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करनी है या सरकारी। जनसेवा करनी है तो पूरी आस्था के साथ करेंगे और मरीजों के साथ धोखा नहीं करेंगे।
बढ़ती बीमारियां घटते डॉक्टर, बिना बताए गायब होने वाले चिकित्सकों को बर्खास्तगी के साथ मिले सजा
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