Tuesday, August 12

महापौर जी इस विज्ञापन नीति से कुछ होने वाला नहीं है, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की भावनाओं और नीति के तहत जनहित में काम करने से ही आम आदमी का भला होगा, मैं छोड़कर नागरिकों की समस्या समाधान के लिए वरिष्ठो से लीजिए सहयोग

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जब पहली बार मेयर के लिए हरिकांत अहलूवालिया का नाम चर्चाओं में आया था तब मैंने पुरजोर प्रयास उन्हें उम्मीदवार बनवाने के लिए किए थे और इसके लिए कई लेख भी उनकी उपलब्धियों और कार्यों व छवि को लेकर लिखे थे क्योंकि वो एक ईमानदार मिलनसार व्यक्ति के रूप में चर्चाओं में रहते थे। उस समय एक नेता ने मुझसे पूछा था कि क्या तुम इन्हें सही प्रकार से जानते हो तो मेरा जवाब था कि बहुत अच्छी तरह लेकिन आज मुझे लगता था कि ना तो उन्हें मैं पहले जानता था ना आज।
इस पद पर अपनी दूसरी पारी खेल रहे महापौर हरिकांत अहलूवालिया ज्यादातर मामलों में लाल पीले ही होते हैं। और जांच भी बैठाते हैं। हर मामले में सुधार के दावे इनके द्वारा किए जाते हैं और उन्हें साकार के लिए हो सकता है वो प्रयास भी करते हो मगर परिणाम सामने नहीं आते। लेकिन फिलहाल मंडलायुक्त और डीएम को अगर किसी मामले के निरीक्षण में बारिश में हुए जलभराव के गंदे पानी से होकर निकलना पड़े तो कोई भी समझ सकता है कि नगर निगम की कार्यप्रणाली और स्थिति क्या होगी। महापौर मिलनसार आज भी है मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सीएम योगी आदित्यनाथ की नीति और सोच के अनुसार महापौर नगर निगम की कार्यप्रणाली नहीं बना पा रहे हैं। ऐसा पार्षदों और नागरिकों का कहना मुझे भी सही लगता है। क्योंकि ना तो जलभराव से मुक्ति मिल रही है ना गंदगी से। अन्य सुविधाओं का हाल किसी को बताने की जरूरत नहीं है। मगर अब कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं और पूर्व पार्षद अजय गुप्ता या राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का मार्गदर्शन और कैंट विधायक अमित अग्रवाल का सहयोग प्राप्त कर नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाय उनके द्वारा अपने फोटो से युक्त जो बड़े बड़े विज्ञापन नगर निगम के बजट से प्रकाशित कराए जा रहे हैं उनके द्वारा यह नीति क्यो अपनाई गई यह तो वही जाने लेकिन यह कहा जा सकता है कि जो पैसा वो इस काम पर खर्च कर रहे हैं अगर सफाई कर्मियों की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करते तो आपस में तालमेल से कई समस्याओं से नागरिकों को छुटकारा मिल जाता । जहां तक उनके फोटो वाले विज्ञापनों की बात करें तो ना तो इनका औचित्य नजर आता है ना उददेश्य। क्योंकि यह जनरल बात है कि महापौर अपनी और सभी पार्षदों की साइट पर इस विवरण को डालकर उपयोगी बना सकते थे। जो भी हो यह उन्हें यह सोचना है। उनकी काबिलियत में कमी नहीं है इसलिए हमें सवाल उठाने का हक भी नहीं है। पिछले दिनों पार्षदों द्वारा सीएम से नगरायुक्त को हटाने की मांग की खबर पढ़ने को मिली थी। अगर पार्षदों ने ऐसी बात महापौर के बारे में कर दी तो जो विश्वास सीएम को उन पर है उनमे कमी आने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। महापौर जी यह यह शहर आपका है और धन धान्य आपके पास परिपूर्ण है। जल्द ही विधान सभा चुनाव आने वाले हैं इसे ध्यान रखते हुए सांसद अरूण गोविल पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी सहित अन्य विधायकों व नेताओं से आप रोज ही मिलते हैं लेकिन अगर नागरिकों के हित में आप व्यक्तिगत मिलकर इनकी राय जाने और फिर निर्णय लेकर कार्य कराएं तो कई मामलों में सफलता और सर्मथन मिल सकता है। जब आप चुने गए थे तो सीएम साहब ने कहा था कि काम करो पूरी सपोर्ट मिलेगी इसमें कुछ गलत भी नहीं है। जिले में कई विधायक एमएलसी निवास कर रहे हैं और सरकार की मंशा के तहत नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आप जो भी काम करेंगे उसमें सबका सहयोग मिलेगा। बस मैं से उबरकर पार्टी नेताओं का सहयोग लीजिए। अपनी छवि निखारने के लिए ऐसे विज्ञापन छपवाने से कुछ होने वाला नहीं है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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