Tuesday, August 12

सीबीएसई लागू करेगा कक्षा नौ में ओपन बुक असेसमेंट

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मेरठ 12 अगस्त (प्र)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपनी गवर्निंग बॉडी की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से कक्षा नौवीं में ओपन बुक असेसमेंट लागू करने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय बोर्ड द्वारा किए गए एक पायलट अध्ययन के बाद लिया गया, जिसमें शिक्षकों का मजबूत समर्थन सामने आया, हालांकि छात्रों के प्रदर्शन में कुछ चुनौतियां भी देखने को मिलीं।

ओपन बुक असेसमेंट में छात्रों को परीक्षा के दौरान किताबें, नोट्स और अन्य अध्ययन सामग्री देखने की अनुमति होगी। इसका उद्देश्य केवल तथ्यों को याद करके लिखने के बजाय छात्रों की समझ, विश्लेषण और अनुप्रयोग क्षमता का आकलन करना है। यह कदम नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उस सिफारिश के अनुरूप है, जिसमें रटने की प्रवृत्ति से हटकर दक्षता आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है। दिसंबर 2023 में बोर्ड ने कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में ओपन बुक एग्जाम का पायलट अध्ययन किया। इसमें छात्र 12 से 47 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त कर पाए। यह नतीजे बताते हैं कि कई छात्रों को संदर्भ सामग्री का सही उपयोग करने और बहुविषयक अवधारणाओं को समझने में कठिनाई हुई। फिर भी, शिक्षकों ने इस प्रणाली को उच्च स्तरीय सोच कौशल विकसित करने के लिए एक सकारात्मक कदम माना और सुझाव दिया कि छात्रों को संदर्भ सामग्री के उपयोग में बेहतर मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

कार्यान्वयन योजना
2026-27 से कक्षा नौवीं के मुख्य विषयों भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में प्रत्येक टर्म के तीन पेन-एंड-पेपर असेसमेंट में से एक असेसमेंट ओपन बुक फॉर्मेट में होगा। बोर्ड इस प्रणाली के लिए मानकीकृत सैंपल पेपर तैयार करेगा, जिनमें प्रश्न इस तरह से होंगे कि छात्रों को विश्लेषण, अनुप्रयोग और आलोचनात्मक सोच का उपयोग करना पड़े।

हालांकि, शुरुआती चरण में स्कूलों के लिए इसे अपनाना अनिवार्य नहीं होगा; वे अपनी तैयारी और क्षमता के आधार पर इसे लागू कर सकेंगे। सीबीएसई ने 2014 से 2017 के बीच ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट लागू किया था, जिसे बाद में नकारात्मक प्रतिक्रिया और सीमित प्रभाव के कारण बंद कर दिया गया। नए मॉडल में पहले की गलतियों से सीखते हुए इसे नियमित टर्म परीक्षाओं का हिस्सा बनाया जाएगा और छात्रों को पहले से अतिरिक्त सामग्री नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें परीक्षा के दौरान वास्तविक समय में संदर्भ सामग्री का उपयोग करना होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को कम करेगा, परीक्षा के तनाव को घटाएगा और उन्हें वास्तविक जीवन की परिस्थितियों के लिए तैयार करेगा, जहां संदर्भ सामग्री का उपयोग आम है। यह शिक्षा में व्यवहारिकता, अवधारणात्मक समझ और समस्या- समाधान की क्षमता को बढ़ावा देगा।

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