मेरठ 13 नवंबर (प्र)। वाल्मीकि आदि आरक्षण वंचित वर्ग संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने 28 नवंबर को कमिश्नरी पार्क में एक दिवसीय सांकेतिक धरना देने की घोषणा की है। यह धरना सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण में किए गए उप-वर्गीकरण के फैसले को यूपी में लागू कराने की मांग को लेकर दिया जाएगा। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि यह वर्गीकरण लागू नहीं होता है तो वे आगामी चुनावों में भाजपा को वोट नहीं देंगे।
समिति के संयोजक विनोद कुमार बेचैन, अध्यक्ष रविन्द्र कुमार वैद और महामंत्री विनेश विद्यार्थी ने सर्किट हाउस (एनैक्सी) में आयोजित प्रेसवार्ता में संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को आरक्षण में उप-वर्गीकरण का फैसला सुनाया था, जिसे अभी तक उत्तर प्रदेश में लागू नहीं किया गया है।
समिति ने कहा कि 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अति दलितों को अलग से आरक्षण दिलाने की घोषणा की थी। इस घोषणा से वाल्मीकि, खटीक, धानक जैसी वंचित उपजातियों में उम्मीद जगी थी कि उन्हें भी आरक्षित पदों पर सम्मानजनक रोजगार मिलेगा और उपवर्ग विशेष का एकाधिकार समाप्त होगा।
हालांकि, वर्ष 2018 से अब तक अति दलितों को अलग से आरक्षण नहीं मिला है। इस कारण इन उपजातियों में गहरी निराशा और असंतोष व्याप्त है। उनका मानना है कि अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध होने के बावजूद उन्हें आरक्षित पदों और रोजगार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है।
समिति ने 2001 में राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति का भी उल्लेख किया। बाबू हुकम सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति ने 21 प्रतिशत आरक्षण में से 11 प्रतिशत वंचित उपजातियों के लिए निर्धारित करने की सिफारिश की थी। हालांकि, यह 11 प्रतिशत आरक्षण भी कभी लागू नहीं किया गया, जबकि सरकार विधेयक लाकर इसे लागू कर सकती थी।
संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार “सबके विकास, अंत्योदय और जीरो पावर्टी तथा गरीब कल्याण” के एजेंडे पर काम करने का दावा करती है। इसके बावजूद, आरक्षण से वंचित उपजातियों का विकास नहीं हो पा रहा है, जो सरकार के घोषित एजेंडे के विपरीत है।
