Tuesday, October 14

आईएएस शंभूनाथ का जाना साहित्यजगत और समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है! मैं हमेशा उनके द्वारा दिए गए प्यार और अपनेपन को याद रखता हूूं और उनके कई प्रेरणास्त्रोत प्रसंगों को जीवन में अपनाता भी हूं

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हर दिल अजीज समाज की व्यवस्थाओं को धरातल से देखकर गरीब और मजबूरों व बेसहारा लोगों की समस्याओं का समाधान करने में अग्रणी मानवीय संवदेनाओं से परिपूर्ण 1947 बिहार के छपरा जिले में जागेश्वर नाथ जी के यहां जन्में शंभूनाथ लोग बताते हैं कि बचपन से प्रतिभावान और आम आदमी के शुभचिंतक रहे और उनमें यह गुण सरकारी सेवा में आने के बाद यूपी के मुख्य सचिव बनने के बाद भी रहे। शायद 80 का दशक था। शहर में गुदड़ी बाजार स्थित पीपलेश्वर नाथ मंदिर का ताला खुलवाने के लिए वृहद स्तर पर आंदोलन चल रहे थे। तब श्री शंभूनाथ मेरठ के कलेक्टर के पद पर तैनात थे। उसी दौरान 146 लोगों के वारंट निकले। सब समर्थ लोग थे इसलिए विभिन्न स्थानों पर जाकर छिप गए। मेरे पास ना रहने को घर था ना काम। समाजसेवा में दिलचस्पी थी। तो पता चला कि मुझे भी उनमें शामिल किया गया है तो पूर्वा अहिरान में परिचित के यहां रात काटी और सुबह सदर गंज बाजार में हलवाई के यहां कचौरी खाई और गले में दो माला डालकर जुलूस की शुरूआत की। बेगमपुल पहुंचते ही वहां एक लाख लोग जमा थे। मैं नारे लगा रहा था तभी पुलिस ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया तो मेरे आहवान पर हजारों लोग गिरफ्तारी देने आगे बढ़े। एसएसपी ने कहा कि मैं अकेले गिरफतारी दूं। मैं नहीं माना तब मीडियाकर्मी रमेशधर अन्य पत्रकारों के साथ मेरे पास आए और पूछा कि गिरफतारी क्यों नहीं दे रहे हो तो मैंने कहा कि मेरा एनकाउंटर करना चाहते हैं इसलिए मेरी गिरफतारी नहीं दिखा रहे। तभी कलेक्टर शंभूनाथ मेरे पास आए और कहा कि अकेले गिरफतारी दे दो। शासन से जुलूसों पर प्रतिबंध है इससे बहुत बड़ी समस्या हो जाएगी। उनकी बातों ने मुझे प्रभावित किया और मैंने अकेले गिरफतारी दी। तब मुझे लालकुर्ती थाने में रखा गया और रात 11 बजे के बाद कोतवाली में हुई बैठक के बाद बिना शर्त रिहा कर दिया गया। अपनी बात मानने से खुश डीएम ने मुझे दो दिन बाद अपने आवास पर दोपहर खाने पर बुलाया। तब उन्होंने मुझे पूरा घर घुमाया और बच्चों के नामों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों के नाम अच्छे हैं तो वो भी अच्छे ही होंगे। आगे चलकर मैंने अपने बच्चों के नाम अंकित और गगन रखे। उन्होंने बताया था कि अगर आपके बच्चे का नाम गरीबदास है तो वह मानसिक रूप से गरीब हो जाता है और अगर राजा है तो उसकी स्थिति राजाओं वाली हो जाती है। उसके बाद शंभूनाथ कई पदों पर रहते हुए मुख्य सचिव बने। लेकिन उन्होंने हमेशा मुझसे सीधा संबंध बनाए रखा और जब भी मैं लखनउ जाता तो वह उसी तरह से बात करते जैसा मेरठ के डीएम रहते करते थे। यहां यह बातें इसलिए लिख रहा हूं कि वो एक महान शख्सियत थे। वह किसी को गरीब अमीर न समझकर उसके व्यवहार से तौला करते थे। 1970 बैच के आईएएस शंभूनाथ का बीती 30 अगस्त को एक सम्मेलन में पुस्तक का विमोचन करते समय हार्ट अटैक से निधन हो गया। शंभूनाथ उप्र हिन्दी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष भी रहे। लेकिन उनकी सोच हमेशा आम आदमी को सदमार्ग दिखाने और जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठ से करने की रही। उनके निधन से प्रदेश ही नहीं देश के साहित्यकारों को भारी क्षति हुई है। योंकि ऐसे बिरले लोग जो मजबूर और असहायों की मदद करने के लिए आगे बढ़कर काम करते रहे हो। खबर के अनुसार बंगुलुरू में कार्यरत उनका बेटा अमिताभ अंतिम संस्कार के लिए पहुंच चुका था। शंभुनाथ ने कई किताबें भी लिखी। कहने का मतलब है कि उनका व्यक्तित्व प्रेरणादायक और हर किसी को कुछ ना कुछ सीखने और समाज के लिए काम करने का संकल्प देने वाला था। उनके परिवार में पत्नी चंद्रानाथ व दो बेटे गौरव और अमिताभ है। मैं और मेरा परिवार स्वर्गलोक की यात्रा पर गए शंभूनाथ की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए परमात्मा से उन्हें स्वर्ग में स्थान देने और दुखी परिवार को यह गहन दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। जैसा कि मेरे बारे में सभी जानते हैं कि जिन परिवारों से मेरी मित्रता होती है और उनके परिवारों से संबंध होते हैं उनसे मुलाकात कम होती है उसी प्रकार शंभूनाथ के परिवार से मेरा कोई संबंध नहीं है लेकिन अगर मेैं उनके किसी काम आ सकूं तो अपने आप को सौभाग्यशाली समझूंगा। वैसे तो किसी अपने का जाना बहुत दुखद होता है लेकिन शंभूनाथ जैसा व्यक्ति जाए तो दुख अपार होता है लेकिन जैसा लोग कहते हैं भगवान चलते फिरते उठा ले और किसी से सेवा ना कराए तो इस दृष्टि से लगभग 78 साल के शंभूनाथ जीवनभर सबके प्रिय रहे और सम्मान पाते रहे। जब भगवान ने उन्हें अपने पास बुलाया तो वो भी प्रसन्न मुद्रा साहित्य संबोधन और निरोगी रूप में वहां के लिए निकल गए जो अपने आप में एक बड़ी बात है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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