मेरठ 20 सितंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। भाजपा के कैंट विधायक अमित अग्रवाल और सांसद अरूण गोविल को अपने क्षेत्र से भारी बहुमत से चुनाव जिताने वाले छावनी क्षेत्र के नागरिक वर्तमान में उनकी ओर आशाभरी निगाहों से देखते हुए सोच रहे है कि शायद बड़े बड़े काम कराने के साथ साथ वो कैन्ट बोर्ड से संबंध नागरिकों के छोटे छोटे काम कराने को भी प्राथमिकता देंगे और उन्हें इस दफ्तर से होने वाली कठिनाईयों से छुटकारा दिलाएंगे। बताते चले कि जुझारू नेता स्पष्टवक्ता और जनता के कार्य कराने में अग्रणी राज्य सभा सदस्य डा0 लक्ष्मीकांत वाजपेयी और कैन्ट विधायक अमित अग्रवाल समय असमय कैन्ट कार्यालय पहुंचते भी है और शासन के द्वारा निर्धारित योजनाओं का लाभ आम आदमी को मिले इसका प्रयास भी करते है। मगर पता नहीं कि वो कौन से कारण है कि जिस क्षेत्र में वो अपने कार्यकर्ताओं से मिलने व कार्यक्रम में जाने के लिए गली गली मौहल्ले मौहल्ले तक पहुंच जाते है वहां की टूटी सड़के गंदगी और पहले तो पूरी मात्रा में सरकारी बाथरूम है ही नहीं और जो है उनकी खस्ताहाल स्थिति की ओर उनका ध्यान क्यों नहीं गया। और उनके सहयोगी इस बारे में उन्हें अवगत क्यों नहीं करा रहे है इस ओर उन्हें खुद ही ध्यान देना होगा। आम आदमी को जनसुविधा उपलब्ध कराने की नीति के तहत राज्यसभा सदस्य भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा कैन्ट विधायक एवं यूपी सरकार की प्रदेश स्तर की एक समिति के अध्यक्ष अमित अग्रवाल जी नागरिकों की समस्याओं पर बड़ी योजनाओं को लागू कराने के साथ साथ दिया जाना चाहिए ध्यान।
एमडीए की वसूली वाजपेयी ने बंद कराई थी
वाजपेयी जी कुछ दशक पूर्व मेरठ विकास प्राधिकरण में जब राजीव कुमार उपाध्यक्ष हुआ करते थे तब तैनात ओएसडी त्यागी ने वसूली का एक नया तरीका निकाला था जिसके तहत एमडीए के जुनियर इंजीनियर व अन्य कर्मचारी लोगों के घर जा रहे थे और 50-50 साल पुरानी ईमारतों का नक्शा मांग रहे थे तब एक पत्रकार के रूप में रवि कुमार बिश्नोई द्वारा ध्यान दिलाये जाने पर डा0 लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एमडीए कार्यालय पहुंचकर अफसरों से नाराजगी व्यक्त की गई और अनकहा वसूली अभियान रूकवाया गया था।
वाजपेयी जी और अग्रवाल साहब कुछ पीड़ित नागरिकों जो कैन्ट बोर्ड के चक्कर काटते काटते परेशान हो गये है उन्होंने मौखिक रूप से बताया कि अब पुराने मकान बेचने की अनुमति के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी और बाबू एनओसी की मांग कर है। और किसी भी रूप में पुराने मकान बेचने की अनुमति इनके द्वारा नहीं दी जा रही है। नागरिकों का कहना है कि जब जीएलआर में मकान हमारे नाम चढ़ाये गये थे तब भी एनओसी नहीं मांगी गई लेकिन पिछले कुछ साल से परेशान करने या कोई और कारण हो एनओसी मांगी जा रही है और अनुमति नहीं दी जा रही। नागरिकों का आपसे आग्रह है कि उन्हें पहले की तरह अपने कई दशक पुराने मकान बेचने के लिए एनओसी के चक्रव्यूह में ना फंसाने के साथ ही अनुमति देनी चाहिए। जिससे जरूरतमंद अपनी अन्य अवश्यकताएं पूर्ण कर सकें। पीड़ितों का कहना है कि वाजपेयी जी व अग्रवाल साहब अफसरों के साथ मीटिंग करते है उस समय इन जनसमस्याओं की तरफ उनका ध्यान दिलाकर ये बिना मतलब की परेशानी दूर कराई जाए। डा0 वाजपेयी जी अन्य बड़े नेताओं को तो मंत्रियों से मिलकर बड़ी बड़ी योजनाएं स्वीकृत कराने से फुर्सत नहीं है लोग यह नहीं कहते कि वो जरूरी नहीं हैं। मगर आम आदमी के छोटे छोटे काम भी बिना कठिनाईयों के आसानी से हो सके। माननीय प्रधानमंत्री जी की इस भावना का ध्यान तो रखा ही जाना चाहिए।
