Tuesday, October 14

दृष्टि आईएएस पर भ्रामक प्रचार के लिए लगा दूसरी बार लाखों का जुर्माना 90 से 100 प्रतिशत का दावा करने वाले स्कूलों की कराई जाए जांच

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देशभर में चल रहे कोचिंग सेंटर नियमों का उल्लंघन तो कर ही रहे हैं जानकारों के अनुसार इनके द्वारा जहां यह खोले जाते हैं वहां ज्यादातर में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं होती इससे यह जाम का कारण बनते हैं। सरकार की निर्माण नीति और सीएम की भावना को भी इनके द्वारा मोटे किराए पर अवैध रूप से बनी इमारतों में कोचिंग चलाए जा रहे हैं। निर्धारित मानकों का पालन भी नहीं हो रहा है। कुछ वर्षोँ में देश के कई कोचिंग सेंटरों में आग भी लगी और बारिश का पानी भी भरा जिसमें काफी बच्चे परिवार से बिछड गए। तब कोचिंग सेंटरो की जांच के आदेश हुए थे। दो चार दिन यह कार्य हुआ लेकिन फिर क्यों बंद हुआ यह तो नहीं जान सकते लेकिन यह कहने मेें कोई हर्ज नहीं कि कोचिंग सेंटर संचालक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अभी एक बहुत बड़ा इंस्टीटयूट का विज्ञापन शाहरुख खान करते थे में अभिभावकों का पैसा तो डूबा ही छात्रों का भविष्य भी खराब हुआ।
दिल्ली मेें सीसीपीए द्वारा दृष्टि कोचिंग सेंटर पर भ्रामक विज्ञापन छपवाने के लिए पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है। विकास दिव्यकीर्ति के इस कोचिंग संस्थान के विज्ञापन में दावा किया गया था कि सिविल सेवा परीक्षा २०२२ में उसके यहां से २१६ से ज्यादा उम्मीदवारों का चयन हुआ जिसमें सफल प्रतियोगियों के नाम व तस्वीरें भी प्रकाशित कराई थी जांच में यह भ्रामक सिद्ध हुआ। बताते हैं कोचिंग के २१६ विद्यार्थियों में से १६२ ने आईजीपी दिया और उन्हें परीक्षा खुद करने की अन्य पाठयक्रमों में नामांकन किया। खबर के अनुसार दृष्टि पर दूसरी बार जुर्माना लगाया गया है। सीसीपीए ने सिविल सेवा परीक्षा २०२१ में भी भ्रामक के लिए तीन लाख का जुर्मान लगाया गया था।
कितने ही नागरिक यह कहते सुने गए कि खुद की मेहनत से पास होने वाले छात्रों के परिजनों से संपर्क कर कोचिंग सेंटरों की यह कोशिश होती है कि इंटरव्यू में वह यह कहें कि उन्होंने फलां कोचिंग सेंटर से शिक्षा प्राप्त की। कोचिंग सेंटरों के हर साल किए जाने वाले दावों की समीक्षा कराई जाए जांच और गलत होने पर कार्रवाई की जाए और ऐसे स्कूल व कोचिंग सेंटरों का नाम देखकर लोग इन्हें मोटी फीस देते हैं। कोई भी कोचिंग सेंटर या स्कूल यह प्रकाशित नहीं कराता कि उनके कितने बच्चे नाकाम रहे। यह भी जरुरी है कि यह जो दावे करते हैं इनके यहां ज्यादातर ७० प्रतिशत अंक लाने वालों को ही प्रवेश देते हैं। कम प्रतिशत लाने वाले को कोई प्रवेश नहीं देता तो मेहनत बच्चे की और पैसा अभिभावकों का और माल और नाम यह कोचिंग सेंटर कमा रहे हैं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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