मेरठ 15 अक्टूबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। शास्त्री नगर के सेन्ट्रल मार्केट में बनी आवासीय भूमि पर शोरूम व काम्पलैक्स आदि के ध्वस्तीकरण के माननीय न्यायालय से हुए आदेशों के बाद यह मुद्दा सभी प्रकार के मीडिया में चर्चा का विषय है। जिसके चलते हर क्षेत्र में इसको लेकर ही बात हो रही है और जागरूक नागरिकों की निगाह लगी है कि क्या होगा? जैसा की दिखाई दे रहा है व्यापारी भी हार मानने को तैयार नहीं और जिम्मेदार भी कोई खतरा मोल लेने की बजाए साम दाम की नीति अपनाकर मामले को आगे खिसकाते नजर आ रहे है। लेकिन इनके निर्माण के लिए दोषी आवास विकास के अफसरों के विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई न होने और पीड़ित व्यापारियों द्वारा भी इस संदर्भ में कोई आवाज ठोस रूप से न उठाये जाने के चलते भले ही न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर मेरठ से लेकर लखनऊ तक के आवास विकास व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से जबाव तलब किये जा रहे हो मगर ग्रामीण कहावत बुढ़ा मरे जवान को शायद अपनाते हुए आवास विकास के वर्तमान अधिकारी सरकार की निर्माण नीति का उल्लंघन करने और कराने के प्रयासों से बाज नहीं आ रहे है।
क्योंकि उन्होंने इससे सबक लिया होता तो इनके द्वारा बसाई गई कालोनियों में जिस प्रकार से रिहायशी प्लॉटों पर कर्मशियल निर्माण की बाढ़ आ रही है वैसा नहीं होता।
उदाहरण के रूप में सेन्ट्रल मार्केट में ही बने जैना ज्वैलर्स को देखा जा सकता है। जब से इसका निर्माण घरेलु उपयोग की भूमि पर कर्मशियल रूप से होना शुरू हुआ तब से ही मीडिया में इससे संबंध खबरें छप रही है। बताते है कि कुछ नागरिकों ने भी अफसरों के पास जाकर इससे अवगत कराया। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई समय रहते नहीं की गई। अब जब वहां शोरूम खुल गया तब आवास विकास के स्थानीय चीफ इंजीनियर और उनके सहयोगी अपने विरूद्ध होने वाली कार्रवाई की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए आये दिन कभी इसे नोटिस देने तो कभी अन्य कार्रवाई करने की बात कहकर अपनी गलतियों को छिपाने और उनकी तरफ से उच्च अधिकारियों का ध्यान हटाने के लिए शायद अब सीलिंग की कार्रवाई किये जाने की बात कर रहे है। जागरूक नागरिकों का मानना है कि अगर कोई नियमविरूद्ध कम या ज्यादा सरकारी भूमि घेरकर मानचित्र के बिलकुल विपरित निर्माण करता है तो उसके ध्वस्तीकरण के लिए किसी प्रकार का नोटिस आदि देने की आवश्यकता नहीं होती।
जैना ज्वैलर्स का निर्माण तो शुरू से ही गलत था। सड़क से हटाकर और ना ही मानचित्र का पालन हुआ। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत व लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत यह है कि इसका दो बार नक्शा पास हुआ। और एक समाचार के अनुसार दूसरे नक्शे के बाद लगभग दस दिन में इसका निर्माण होना बताया गया। आखिर कब तक हवाई कार्रवाई आवास विकास के स्थानीय चीफ इंजीनियर राजीव कुमार व उनके सहयोगियों द्वारा करके जिम्मेदारों को भटकाया जाएगा यह विषय चर्चाओं में है। बताते है कि माननीय न्यायालय में भी एक सूचना कार्यकर्ता के द्वारा इसे ले जाया गया है।
