Saturday, October 25

लग्जरी बीएमडब्ल्यू कारों में लोकपाल की सवारी

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कोरोना के बाद अब नागरिकों की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक हुई है। लेकिन इतनी भी सही नहीं कह सकते कि कोई टैक्स अतिरिक्त रूप से लगते हैं तो वो उसका भार वहन कर सके लेकिन अगर लोकपाल के सदस्य और अध्यक्ष आदि को लग्जरी बीएमडब्ल्यू कारें उपलब्ध होंगी तो अन्य बड़े सरकारी अधिकारी और सूचना आयुक्त आदि भी ऐसी मांग कर सकते हैं। किसी वजह से ऐसा होता है तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इसकी भरपाई के लिए टैक्सों की बढ़ोत्तरी होगी इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस संबंध में प्राप्त एक खबर के अनुसार भारत के भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण लोकपाल ने अपनी प्रशासनिक और ट्रांसपोर्ट सुविधाओं के लिए कदम उठाया है। लोकपाल ने सात बीएमडब्ल्यू 330 एलआई (लॉन्ग व्हील बेस) लग्जरी कार खरीदने के लिए 16 अक्टूबर को एक सार्वजनिक टेंडर जारी किया है। इन कारों की अनुमानित कीमत 60 लाख रुपये प्रति कार से अधिक है। इसकी कुल लागत 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की संभावना है। इस टेंडर के तहत, इच्छुक आपूर्तिकर्ताओं से बोली आमंत्रित की गई हैं और बोली मूल्यांकन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू होगी।
लोकपाल की ओर से खरीदी जाने वाली ये सात बीएमडब्ल्यू 330 एलआई कारें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। कारों की डिलीवरी के बाद, बीएमडब्ल्यू कंपनी लोकपाल के ड्राइवरों और कर्मचारियों के लिए एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। इस ट्रेनिंग में वाहनों की तकनीकी प्रणाली, सुरक्षा सुविधाएं और परिचालन निर्देश शामिल होंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कारों का इस्तेमाल सुरक्षित और प्रभावी ढंग से हो।
क्या होता है लोकपाल?
लोकपाल भारत का एक स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण है, जिसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी। यह संस्था 2010 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के जन लोकपाल आंदोलन के बाद संसद द्वारा पारित कानून के तहत अस्तित्व में आई। वर्तमान में लोकपाल के अध्यक्ष जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर हैं, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।
लोकपाल को प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और केंद्र सरकार के समूह ए से डी तक के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है।
इसके अलावा, यह उन बोर्ड, निगमों, ट्रस्टों या सोसाइटियों के खिलाफ भी जांच कर सकता है, जो संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित हैं या केंद्र सरकार से वित्त पोषित हैं, या जिन्हें 10 लाख रुपये से अधिक की विदेशी सहायता प्राप्त होती है।
राज्यों में लोकायुक्त की भूमिका
लोकपाल जहां राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है, वहीं राज्यों में इसी तरह की जिम्मेदारी लोकायुक्त निभाते हैं। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रभावी ढंग से हो। लोकपाल का यह कदम, जिसमें आधुनिक संसाधनों का उपयोग शामिल है, संस्था की कार्यक्षमता को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
मेरा आदरणीय लोकपाल जी और विभाग के अन्य छह सदस्यों को बीएमडब्ल्यू कारें मिलें इससे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल जो अन्य विभागों के अधिकारियों पर नजर रखता है उसे महंगी बीएमडब्ल्यू जिसकी एक की कीमत ही लगभग ७० लाख के आसपास होगी वो किसी भी विभाग के अफसर या जनप्रतिनिधि को सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराया जाना वर्तमान समय में जो आर्थिक स्थिति कम मजबूत होने के चलते देश और प्रदेश की सड़कें टूटी और गडडों से युक्त है और आए दिन पढ़ने को मिलता है कि आर्थिक स्वीकृति होने का इंतजार विकास कार्य कर रहे हैं तथा दूसरी तरफ केंद्र सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आम आदमी को जरुरत की चीजें उपलब्ध कराने के लिए भारी खर्च कर रही है। ऐसे में हमेशा से प्रचलन में अबेंस्डर या मध्यम बजट की कार किसी को भी बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियां उपलबध कराने को कोई भी औचित्य नजर नहीं आता है। एक तरफ सरकार फिजूलखर्ची रोकने पर ध्यान दे रही है तो दूसरी तरफ इस प्रकार की गाड़ियों का उपलब्ध कराया जाना दोनों ही विपरीत बातें हैं। जनहित में लोकपाल और संबंधित कें्रदीय विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। बाकी अगर अर्थव्यवस्था इस हाल में है कि सरकार द्वारा महानुभावों को बीएमडब्ल्यू जैसी कार उपलब्ध कराई जा सकें तो किसी को क्या ऐतराज हो सकता है। हमारे लिए खुशी की बात होगी कि सरकार अपने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को इतनी महंगी कारें उपलब्ध कराने में सक्षम है जिससे यह पता चलता है कि हम आर्थिक तौर पर मजबूत है। अगर ऐसा है तो इन गाड़ियों की उपलब्धता में कोई परेशानी नहीं है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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