देशभर में राहुल गांधी द्वारा की गई जनजागरूकता यात्रा के बाद कांग्रेस को मिली सफलता और जुड़े नागरिकों की संख्या शायद रास नहीं आ रही है। इसीलिए इसके नेता कब क्या बोल बैठे उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। देश में हर व्यक्ति को बोलने का पूर्ण अधिकार है तो राहुल गांधी तो लोकसभा में विपक्ष के नेता पद पर विराजमान है। उनके द्वारा यह कहा जाना कि सेना पर १० प्रतिशत उच्च जातियों का नियंत्रण है। ऐसे शब्दों के लिए पहले भी शायद कोर्ट ने फटकार लगाई थी मगर हो सकता है कि उनकी निगाह में यह बात सही हो मगर सेना पर इस प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं है। क्योंकि सेना में भले ही कुछ नामों से रेजीमेंट गठित हो मगर सैनिक देश की रक्षा और युद्ध लड़ते समय जाति ना खुद देखते हैं और ना ही किसी को ऐसा मौका देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छठी मईया का अपमान करने वालों की कराएं जमानत जब्त जैसे शब्दों का उपयोग किस संदर्भ में किया गया वो अलग बात है। मगर आम आदमी उसे राहुल गांधी के बयान को सामने रखकर ही सोच रहे हैं। जो भी हो मैं ना तो कांग्रेस का विरोधी हूं ना सत्ताधारी दल का समर्थक लेकिन जनहित में अन्यों की भांति मैं भी सोचता हूं कि केंद्र में सरकार और विपक्ष दोनों मजबूत हो। यह तभी हो सकता है जब राहुल गांधी जैसे नेता अपनी वाणी में संयम और देश की अखंडता बनाए रखने को देखकर बोलें। जो भी हो सेना पर उच्च जातियों का नियंत्रण जैसा राहुल गांधी का बयान किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। इससे कहीं ना कहीं नागरिकों के मन में वैमनस्य की भावना पैदा होने की बात को आसानी से सिरे से नहीं नकारा जा सकता।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल जी सेना में जातियों का नियंत्रण जैसे शब्दों का उपयोग सही नहीं
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