Wednesday, November 12

शमशुल हुदा और ऐसे लोगों की मदद करने वालों को समय से पूर्व सेवानिवृति दे, व्यक्तिगत संपत्ति जब्त कर भेजा जाए जेल

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ब्रिटेन मे रहकर इस्लाम को बढ़ावा देने का काम कर रहे शमशुल हुदा एक खबर के अनुसार दस साल तक यूपी के संतकबीर नगर से वेतन वृद्धि का लाभ लेते रहे और २०१७ में स्वैच्छिक सेवानिवृति के साथ ही पेंशन स्वीकृत और अन्य लाभ लेने में कैसे सफल रहे यह विषय आज इससे संबंध खबर को पढ़कर पाठकों में चर्चाओं में रहा। इससे संबंध समाचार के अनुसार ब्रिटेन की नागरिकता लेकर भारत में इस्लामीकरण को बढ़ावा देने वाले संतकबीरनगर के सहायक अध्यापक शमशुल हुदा खां को 10 साल तक वेतन वृद्धि दी जाती रही। इतना ही नहीं 2017 में उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करने के साथ नियम विरुद्ध तरीके से पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई। यूपी एटीएस द्वारा इस प्रकरण की जांच के बाद संतकबीरनगर में शमशुल हुदा के खिलाफ दो दिन पहले मुकदमा दर्ज किया गया है।
एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने कहा कि संतकबीरनगर के शमशुल हुदा खां ब्रिटेन की नागरिकता लेकर लगातार विदेशों में यात्रा करते हुए इस्लाम धर्म का प्रचार कर रहा था। उसके पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में आने-जाने, वहां के लोगों से संपर्क रखने एवं भारत में अपने करीबियों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के संदिग्ध व्यक्तियों से संपर्क तथा अन्य संदिग्ध गतिविधियों की जांच एटीएस से कराई गई थी।
जांच में सामने आया कि शमशुल 12 जुलाई 1984 को मदरसा दारूल उलूम अहले, सुन्नत मदरसा अशरफिया मुबारकपुर आजमगढ़ में सहायक अध्यापक आलिया के पद पर नियुक्त हुआ था। 2007 से ही वह ब्रिटेन में रह रहा था। उसने 19 दिसंबर 2013 को ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रतिवर्ष वेतन वृद्धि प्रदान की गयी और 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गयी।
मदरसा किया सील
शमशुल के मदरसे में नौकरी करते हुए बार-बार विदेश जाने, विदेशों से फंड जुटाने और उसको विभिन्न माध्यमों से मदरसों तक भेजने और उसमें अपना कमीशन लेने के तथ्य जांच में सामने आए हैं। एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर संतकबीरनगर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शमशुल हुदा के विरुद्ध दो दिन पहले कोतवाली खलीलाबाद में मुकदमा दर्ज कराने के साथ उसके मदरसे को सील कर दिया गया है। एडीजी ने बताया कि शमशुल हुदा के विरुद्ध पूर्व में दो अन्य मुकदमे संतकबीरनगर और आजमगढ़ में दर्ज हुए थे, जिनमें अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री जी पिछले कुछ सालों से स्कूलों व सरकारी विभागों में फर्जी मार्कशीट व नियम विरूद्ध नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ काफी खबरें सुनने को मिलती आ रही है। शिक्षा के क्षेत्र में तो इसे लेकर सबसे ज्यादा चर्चा रहती है। शमशुल हुदा ने तो सारी सीमाएं ही पार कर दी। सरकार तो कुछ करेगी ही लेकिन मुझ्रे लगता है कि ऐसे लोगों के खिलाफ जिस स्तर पर कार्रवाई तुरंत होनी चाहिए शायद वो नहीं हो पाती जिससे प्रोत्साहित होकर ऐसे मामलों में शाामिल लोगों की संख्या जांच होने पर खुलकर सामने आ रही है। इससे जहां कानून का उल्लंघन हो रहा है वहीं पात्रता होने के बाद भी कुछ युवक बेरोजगार घूमने को मजबूर हैं। ऐसे प्रकरणों में शामिल कर्मचारियों की खाल मोटी होती जा रही लगती है। मुख्यमंत्री जी सरकार को जो करना है वो करे लेकिन ऐसे मामलों में सबसे पहले जो भी प्रकरण खुलकर आते हैं उनसे संबंध सभी व्यक्तियों को समय से पूर्व सेवानिवृति नुकसान की भरपाई हेतु निजी संपत्ति से वसूली और मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाए जिससे यह कुछ बिंदुओं का लाभ उठाकर खुला ना घूमे क्योंकि यह खुला घूमेंगे तो अन्य नौजवानों का गुमराह कर सकते हैं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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