मेरठ 12 नवंबर (प्र)। मेरठ कॉलेज के 50 करोड़ से ज्यादा कीमत के प्ले ग्राउंड के एक बड़े हिस्से को चौकीदारों ने ही बेच डाला। बूचरी रोड स्थित कैंट की बी-3 लैंड स्थित बंगला नंबर 68 व 69 लालकुर्ती वाले अब्दुल करीम परिवार ने ब्रिटिश काल के दौरान मेरठ कॉलेज को प्ले ग्राउंड बनाने के लिए दान में दी थी।
इन दोनों बंगलों का मैनेजमेंट डीईओ के आधीन आता है और स्वामित्व मेरठ कॉलेज की प्रबंध समिति का है। हैरानी तो इस बात की है कि पचास करोड़ से ज्यादा कीमत की इस संपत्ति को लेकर मेरठ कॉलेज प्रबंध समिति भी गंभीर नजर नहीं आ रही है। हालांकि सेना दो बार यहां कार्रवाई कर चुकी है, लेकिन हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
डीईओ के मैनेजमेंट वाले बंगला 68 व 69 के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जे हो गए हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि ये जगह सेना की है, लेकिन जीएलआर में इन दोनों बंगलों की लिखा पढ़ी बतौर मेरठ कॉलेज के प्ले ग्राउंड के तौर पर है। जिन दोनों बंगलों को मेरठ कॉलेज का प्ले ग्राउंड बताया जाता है इन बंगलों के बाउंड्री रोड से सटे हिस्से पर बड़े स्तर पर कब्जे और अवैध निर्माण कर लिए गए हैं। बीते तीन सालों के दौरान यहां बड़े स्तर पर अवैध निर्माण हुए। यहां यह जगह मौजूद है, वहां से डीईओ ऑफिस भी ज्यादा दूरी पर नहीं है, लेकिन उसके बाद भी यहां के अवैध कब्जे और अवैध निर्माण डीईओ ऑफिस को नजर नहीं आते हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि यदि ऐसी ही लापरवाही बनी रही तो इस मैदान पर रजवन के फुटबाल मैदान की तर्ज पर अवैध लेकिन कंकरीट की पक्की इमारत तामीर हो जाएंगी।
सेना दो बार कर चुकी है कार्रवाई
बूचरी रोड बंगला 68 व 69 पर किए गए कब्जों व अवैध निर्माणों के खिलाफ सेना दो बार कार्रवाई कर चुकी है। साल 2003 में तत्कालीन डीईओ धनपत राम ने सेना की मदद से यहां से एक-एक अवैध कब्जा व निर्माण हटवा दिया था। सेना ने पूरे दिन तब कार्रवाई कर मैदान खाली कराने के बाद तारबंदी कर दी थी। बतौर डीईओ जब तक धनपत राम रहे तब तक इस मैदान पर किसी ने झांकने की हिम्मत नहीं की, लेकिन उनके तवादल के बाद धीरे धीरे से फिर इस पर अवैध कब्जे होने लगे। पहले झोपड़ियां डाली गयीं और फिर पक्के निर्माण हो गए।
1975 में विक्टोरिया पार्क शिफ्ट हुआ प्ले ग्राउंड
जानकारों की मानें तो साल 1975 से पहले मेरठ कॉलेज का प्ले ग्राउंड यही मैदान हुआ करता था। यहीं पर कॉलेज के छात्र खेला करते थे, लेकिन बाद में साल 1975 में यहां से प्ले ग्राउंड विक्टोरिया पार्क शिफ्ट हो गया जो वर्तमान में भी मौजूद है। इसको लेकर जब डीईओ विनय व ऑफिस के एसएसओ वीके गुप्ता से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी।
