Friday, November 28

धड़कन कम होने की बात कहकर मशीन में रखा, नवजात की जलने के कारण मौत

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मेरठ 28 नवंबर (प्र)। मेरठ में एक नवजात बच्चे को जन्म के बाद हीटर में रख दिया। उसका तापमान अधिक बढ़ा दिया। जिससे बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर और स्टाफ ने नवजात को बिना परिजनों को दिखाए मशीन में रखा। मौत के बाद डॉक्टर और स्टाफ ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर छिपा दिया। जब परिजनों ने बच्चे के बारे में पूछा तो काफी देर छिपाते रहे। इसके बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया। तब डॉक्टर और नर्सों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। पीड़िता ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ से की है। घटना फलवादा कस्बे के फलवादा सीएचसी की है।

मोहल्ला जोगियान की निवासी देवेंद्र की पत्नी रेखा गर्भवती थी। रेखा को बुधवार दोपहर 2 बजे पेट दर्द होने पर परिजन फलावदा के सीएचसी ले गए थे। वहां मौजूद डॉक्टर और दो नर्सों ने महिला की डिलीवरी कराई। परिजनों का आरोप है कि बच्चे के जन्म के बाद उसे बिना दिखाए मशीन में रखा गया। हीटर से अत्यधिक तापमान दिया गया, जिससे बच्चे का शरीर जल गया और उसकी मौत हो गई। मृत्यु के बाद डॉक्टर और स्टाफ ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर छिपा दिया। बार-बार कहने पर भी परिजनों को नहीं दिखाया। जब परिजनों को बच्चे की मौत की जानकारी मिली और उन्होंने सवाल किया।

आरोप है कि डॉक्टर और नर्सों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट पर उतारू हो गईं। गाली-गलौज की और धमकी भी दी कि यदि वे शोर करेंगे तो उन पर कार्रवाई करा दी जाएगी। स्टाफ ने परिजनों से दबाव डालकर जबरन कागजात पर हस्ताक्षर करवाए। मैंने इस घटना की शिकायत मुख्यमंत्री और मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ को पत्र भेजकर संबंधित डॉक्टर व अस्पताल स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. नितिन शर्मा ने आरोपों को गलत बताया। उनका कहना है कि गर्भवती महिला की स्थिति लगातार खराब हो रही थी। डिलीवरी के दौरान नवजात में धड़कन नहीं थी। नवजात को तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर के पास रेफर किया गया था, जहां उसकी मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि बच्चे की मौत मशीन की गर्मी से होने का आरोप निराधार है।

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