मेरठ 06 दिसंबर (प्र)। शहर के विकास और सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर एक के बाद एक व्यापारिक क्षेत्रों पर संकट के बादल घिरते जा रहे हैं। पहले सेंट्रल मार्केट अब शास्त्रीनगर, जागृति विहार व माधवपुरम के बाद दिल्ली रोड रैपिड रेल कॉरिडोर के अंतिम चरण में जगदीश मंडप के दोनों तरफ बनी करीब 70 दुकानों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है। व्यापारियों ने इसे अपनी आजीविका पर सीधा हमला बताया और चार गुना मुआवजे के साथ वैकल्पिक सक्रिय व्यापारिक स्थान देने की मांग की है।
संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता और अजय गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि शहर ने का विकास जरूरी है लेकिन व्यापारियों के रोजी-रोटी के साधन नहीं छीने जाने चाहिए दोनों नेताओं ने बताया कि दिल्ली रोड पर जिन 70 दुकानों को तोड़ा जाना प्रस्तावित है, उनसे करीब पांच हजार परिवारों का चूल्हा जुड़ा हुआ है। इस सब के बीच चर्चा है कि प्रशासन की ओर से 60 करोड़ रुपए के मुआवजे का प्रस्ताव है लेकिन व्यापारी इसे अपर्याप्त बता रहे हैं।
दुकानदार मुनीश कुमार सहित अन्य व्यापारियों ने भावुक अपील करते हुए कहा कि हम और हमारे कर्मचारी दशकों से इसी ऐतिहासिक भूमि पर परिवार चला रहे हैं। अचानक सब कुछ छीन लेना कहां का न्याय है। सरकार कोई ऐसा रास्ता निकाले कि हमें कम से कम चार गुना मुआवजा मिले और वैसी ही सक्रिय व्यापारिक जगह आवंटित हो पहले जैसा कारोबार चल सके।
संयुक्त व्यापार संघ के उपाध्यक्ष तरुण गुप्ता ने रोष जताते हुए कहा कि व्यापारी को सबसे कमजोर समझा जाता है रजिस्ट्री होने के बावजूद कुछ अधिकारी दुकानों को सरकारी जमीन पर बनी बताते हैं यह सरासर अन्याय है। इन 70 दुकानों के टूटने से सीधे पांच हजार घर प्रभावित होंगे।
नवीन गुप्ता ने बताया कि संघ लगातार प्रशासन से संवाद कर रहा है। शुक्रवार को भी डीएम, एसडीएम सहित तमाम अधिकारियों से संपर्क किया गया।
अजय गुप्ता ने कहा कि 11 दिसंबर को जिला अधिकारी के सामने बैठकर दिल्ली रोड के व्यापार को बचाने का अंतिम प्रयास किया जाएगा। यदि फिर भी दुकानें तोड़ी गईं तो चार गुना मुआवजा दिलाने के लिए हर संभव कानूनी व आंदोलनात्मक लड़ाई लड़ी जाएगी। इसके साथ ही व्यापारियों को अन्य स्थान पर दुकान दिलाई जाएंगी।
