लखनऊ,09 दिसंबर। केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा चालू पेराई सत्र के लिए गन्ने के रस से सीधे एथनॉल बनाने पर रोक लगा दिये जाने का असर उत्तर प्रदेश की 14 निजी चीनी मिलों पर पड़ेगा। इन मिलों ने अपने परिसर में गन्ने के रस से एथनॉल बनाने के संयंत्र लगाने पर काफी बड़ा पूंजी निवेश किया हुआ है।
केंद्र के इस फैसले से देश में इस बार चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य बनने जा रहे उत्तर प्रदेश में एथानॉल के उत्पादन का ग्राफ भी गिरेगा। एथानॉल का उत्पादन घटेगा और चीनी का उत्पादन बढ़ेगा। चीनी का स्टॉक बढ़ने से बाजार में चीनी के दाम भी नीचे आएंगे। इससे आम उपभोक्ता वर्ग को फायदा होगा।
प्रदेश की जिन 14 निजी चीनी मिलों में गन्ने के रस से एथानॉल बनता रहा है वह हैं-लखीमपुर खीरी की ऐरा, बहराइच की पारले बिस्कुल, बलरामपुर, गोण्डा की मेजापुर, बिजनौर की धामपुर, सम्भल की असमौली, लखीमपुर खीरी की अजबपुर, सीतापुर की हरगाँव, बिजनौर की स्योहारा, सीतापुर की जवाहरपुर शाहजहांपुर की निगोही, सीतापुर की रामगढ़, बिजनौर की बुंदकी और बरेली की फरीदपुर ।
उधर, केन्द्र के इस फैसले का प्रमुख गन्ना किसान नेता और गन्ना समिति विक्रमजोत के संस्थापक अध्यक्ष डा. अरविन्द सिंह ने स्वागत किया है। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि केन्द्र के इस निर्णय का राज्य की चीनी मिलों से कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चत करवाया जाए। डा. सिंह ने कहा कि इधर बाजार में चीनी के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ता को चीनी खरीदने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। केंद्र के इस फैसले से चीनी के दामों में चार से पांच रुपये प्रति किलो की गिरावट आ सकती है क्योंकि एथनॉल कम बनने से चीनी ज्यादा बनेगी और चीनी का ज्यादा स्टाक होने पर भाव नीचे आएंगे।