खंडवा 12 दिसंबर। फिल्मों और टीवी सीरियल्स में आपने अक्सर देखा होगा कि एक किरदार के लापता होते ही उसका हमशक्ल उसकी जगह ले लेता है. ठीक इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश कर खण्डवा जिले में सामने आया है. खंडवा के खुर्द गांव में 28 साल पहले लापता हुआ शख्स रविवार को अचानक घर लौट आया. उसकी जगह परिवार के साथ रह रहे बाबा की पोल खुल गई. बाबा का कहना है कि मैं परिवार का दिल नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए सच बता नहीं पाया.
1995 में कालाआम खुर्द गांव का रहने वाला दिनेश लोवंशी दीनू किसी काम के सिलसिले में घर से निकला था. इसके बाद वह घर नहीं लौटा. छोटे भाई विनोद ने बताया कि दीनू के लापता होने के करीब 15 साल बाद एक बाबा गांव आया. उसकी शक्ल भाई से मिलती-जुलती है. बाबा ने कहा कि वही दीनू है. उसने दादा-पिता का नाम भी बताया. उसके हाथ में दीनू नाम भी गुदा हुआ था. परिवार के लोगों ने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया. तभी से वह परिवार के लोगों के साथ रहने लगा.
विनोद ने बताया कि बाबा ने कहा था कि मैं संत बन गया हूं. हरिद्वार में एक अखाड़े से जुड़ा हूं, जिसमें मेरा नाम कल्याण गिरी महाराज रखा गया. परिजन उसकी बातों में आ गए. उसने गांव में यज्ञ करवाया. गांव के बाहर टेकरी पर मंदिर भी बनवाया. आसपास के गांव के लोग भी उसे मानने-पूछने लगे. वह कभी घर में रहता था तो कभी हरिद्वार, माउंट आबू या फिर अन्य जगहों पर जाता रहता था. उसने दिनेश के नाम का आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी बनवा लिए थे.
दीनू के पिता जागेश्वर लोवंशी ने बताया कि दीनू जब 16 साल का था, तब लापता हो गया था. 15 साल बाद जब बाबा बेटे के रूप में आया तो हमने उसे अपना लिया. बाबा ने कभी हमारे परिवार से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं किया. बाबा झाड़ फूंक करता था. कई तरह की समस्याएं सुलझाने का दावा भी करता था. विनोद ने बताया कि हम तीन भाई हैं. दो भाइयों का पिता ने जमीन में हिस्सा कर दिया था. बाबा ने कुछ दिन पहले ही कहा कि मेरा जमीन का हिस्सा भी मेरे नाम करो. पिता और हम सभी सहमत भी हो गए थे. जमीन उसके नाम करवाने की प्रक्रिया करने वाले थे कि असली भाई दिनेश आ गया. दिनेश ने मेरे परिवार के ही नहीं गांव के एक-एक बच्चे के नाम तक बता दिए. उसके पास उसके नाम का आधार कार्ड भी मिला.