लखनऊ 08 दिसंबर। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रॉपर्टी डीलिंग करने वाले वकीलों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. न्यायालय ने कुछ वकीलों के विरुद्ध सुनवाई की जा रही याचिकाओं का हवाला देते हुए कहा कि सभी शिकायतें जमीनों पर कब्जे व संपत्तियों के लिए धमकियां देने वाले प्रॉपर्टी डीलर्स के विरुद्ध हैं, जो वकील भी हैं. उनके विरुद्ध सरकार सख्त कार्रवाई करें. इसके साथ न्यायालय ने मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में वकीलों के खिलाफ 11 याचिकाओं पर हो रही सुनवाई: यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने अनिल कुमार खन्ना समेत वकीलों के विरुद्ध चल रही कुल 11 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. न्यायालय के आदेश पर हाजिर हुए, पुलिस आयुक्त, लखनऊ एसबी शिरडकर ने कोर्ट को बताया कि आम लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले कथित वकीलों के विरुद्ध तत्काल और प्रभावी कार्रवाई के लिए पुलिस ने स्पेशल सेल का गठन किया है.
29 वकीलों का हो चुका है लाइसेंस निलंबितः उन्होंने न्यायालय को जानकारी दी कि संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व व्यवस्था) उक्त सेल के इंचार्ज हैं. न्यायालय ने वकीलों के विरुद्ध दर्ज मामलों में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा अगली सुनवाई तक दाखिल करने का आदेश दिया है. वहीं, सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ यूपी की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वर्ष 2011 से 2021 के बीच कुल 29 वकीलों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए, उनका लाइसेंस निलंबित किया गया है. हालांकि, ऐसे निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष अपील के आधीन होते हैं.
प्रॉपर्टी डीलिंग से हो रही हिंसाः इस पर न्यायालय ने कहा कि इन याचिकाओं में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए, ताकि इन कथित वकीलों व उनकी सामाजिक गतिविधियों का वह भी संज्ञान ले. इस मामले में उनकी सलाह भी ली जा (सके. न्यायालय ने कमिश्नर ऑफ इंकम टैक्स (टीडीएस), लखनऊ को भी आदेशित किया है कि वह भी ऐसे प्रॉपर्टी डीलर वकीलों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करें. न्यायलाए ने टिप्पणी करते हुए कहा कि समस्या की जड़ में प्रॉपर्टी डीलिंग ही है, जिसकी वजह से आम नागरिकों को हिंसा का सामना करना पड़ता है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो जनवरी की तिथि तय की है.
जिला जज, सीबीआई, डीसीपी, सीबीसीआईडी व एसटीएफ से मांगी रिपोर्ट: सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि वकीलों के विरुद्ध दर्ज कुछ मामलों की जांच सीबीआई, सीबीसीआईडी व एसटीएफ को दी गई थी. इस पर न्यायालय ने इन एजेंसियों व जनपद न्यायाधीश, लखनऊ तथा संयुक्त पुलिस आयुक्त से भी उक्त मामलों की स्ट्स रिपोर्ट तलब की है.