मेरठ 31 दिसंबर (प्र)। पांच वर्ष पूर्व जम्मू-कश्मीर के कनीगाम में आतंकियों के खिलाफ हुए सैन्य आपरेशन में बलिदान हुए मेरठ के वीर सपूत हवलदार अनिल कुमार तोमर को सोमवार को सेना ने श्रद्धांजलि अर्पित की। छावनी स्थित पाइन डिव मुख्यालय से जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल भरत महतानी ने बलिदानी के पैतृक गांव सिसौली में लगी प्रतिमा पर पुष्पगुच्छ चढ़ाकर सर्वोच्च बलिदान को नमन किया। उनके साथ ब्रिगेड कमांडर ब्रिगेडियर अमित कुमार चंद और राजपूत रेजिमेंट के कर्नल आफ द रेजिमेंट लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार की ओर से भी बलिदानी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
जीओसी मेजर जनरल भरत महतानी ने बलिदानी के पिता भोपाल सिंह, छोटे भाई सुनील तोमर, पत्नी मीनू और बेटी तानिया से भी मुलाकात कर उनका हाल जाना। तानिया आइआइएमटी विश्वविद्यालय से स्नातक कर रही हैं और उनके छोटे भाई लक्ष्य तोमर झुंझुनू में हास्टल में रहकर कक्षा नौवीं में पढ़ रहे हैं। श्रद्धांजलि सभा में ऊर्जा राज्यमंत्री डा. सोमेंद्र तोमर, पूर्व विधायक सतवीर त्यागी सहित गांव व आसपास रहने वाले पूर्व सैनिकों ने हिस्सा लिया। गांव के प्रधान व पूर्व सैनिक प्रवीण तोमर ने सैन्य अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों का स्वागत व अभिनंदन किया।
सेना की ओर से बलिदानी हवलदार अनिल कुमार की प्रतिमा के समक्ष ही उनका साइटेशन ( उनके वीरता के विवरण की पट्टिका) लगाई गई है, जिससे नई पीढ़ी को भी उनकी वीर गाथा पता चल सके और प्रेरित होकर देश सेवा से जुड़ सके। दिसंबर 2020 में हवलदार अनिल कुमार की यूनिट 44 आरआर जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास तैनात थी। यूनिट के कार्यक्षेत्र (एओआर) में कई आतंकवादी सक्रिय थे। 25 दिसंबर 2020 को कनीगाम क्षेत्र में कुछ आतंकवादियों के होने की सूचना मिली। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त दल ने तलाशी और घेराबंदी अभियान शुरू किया।
हवलदार अनिल कुमार 44 आरआर टीम का हिस्सा थे। आतंकवादियों ने घेरा तोड़कर भागने के लिए सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया। लंबे संघर्ष के दौरान, हवलदार अनिल कुमार और उनके साथियों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। लेकिन इस गोलीबारी के दौरान, हवलदार अनिल कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। अपनी गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने अद्वितीय साहस और वीरता का परिचय दिया और जवाबी फायरिंग में खुद एक आतंकवादी को मार गिराया। हवलदार अनिल कुमार को श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया। तीन दिनों तक चले जीवन संघर्ष के बाद 28 दिसंबर 2020 को उन्होंने अंतिम सांस ली। मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से अलंकृत किया गया।