Thursday, July 31

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बने प्राधिकरण, मनसा देवी जैसे धार्मिक स्थलों तक जाने के लिए की जाएं व्यवस्थाएं

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कब तक होती रहेंगी ऐसी हृदयविदारक घटनाएं, मुआवजा और शोक संदेश से मृतकों के परिवारों का दुख कम होने वाला नहीं, हरिद्वार के डीएम-एसएसपी के खिलाफ भी हो कार्रवाई, मृतकों के परिवारों को दी जाए सरकारी नौकरी
हमेशा की तरह हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़ पर मुआवजा देने और संवेदना व्यक्त करने का कार्य प्राथमिकता से हो गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि कभी क्रिकेट खेलने को लेकर तो कभी मंदिरों, कथाओं और जनसभाओं में मचने वाली भगदड़ और उनमें मरने वालों का यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा। आवश्यकता इस बारे में सोचने की प्रथम दृष्टया होनी चाहिए क्योंकि दो या पांच लाख मुआवजे से जाने वालों की भरपाई नहीं हो सकती। संवेदनाओं से यह तो लगता है कि कुछ ऐसे भी हैं जो हमारे साथ खड़े हैं मगर उससे यह दुर्घटनाएं नहीं रूक पा रही हैं।
बीते दिवस हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में खबरों के अनुसार मंदिर परिसर में बिजली का तार टूटने से करंट की अफवाह उड़ी। 8ः44 बजे तक अफरा तफरी मची रही। 9ः45 तक स्थिति सामान्य हुई लेकिन तब तक आठ लोगों की मौत और खबर के अनुसार 45 लोग घायल हो गए। खबर पता चलते ही उत्तराखंड के सीएम पीएस धामी सहित तमाम जिम्मेदार मौके पर पहुंचे। सीएम ने लगभग दो बजे अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना में मरे लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रूपये देने का ऐलान किया गया। ऐसा ही उत्तराखंड के सीएम द्वारा किया गया। घायलों को 50-50 हजार देने की घोषणा की गई।
बीती रविवार को हुई इस दुर्घटना में यूपी के बाराबंकी, बरेली, रामपुर, बदायूं के लोग शामिल रहे बचाव कार्य में भी उत्तराखंड की तहसील काशीपुर के नवीन आदि ने काफी सहयोग किया। और 12 घायलो को अपनी मोटर साइकिल से अस्पताल भी पहुंुचाया। हरिद्वारा में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित मां मनसा देवी मंदिर पर ही पिछलें दिनो वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोक लगाने की खबर पढ़ी थी मगर यात्रियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा में लगने वाले लोग अपेक्षित व्यवस्था नहीं कर पाए और यह घटना हो गई। प्रधानमंत्री जी उत्तराखंड और यूपी के सीएम सहित अनेको जनप्रतिनिधि ने इस घटना पर दुख जताया और मृतकों केा श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक व्यक्त किया।
सवाल यह उठता है कि मंदिर पर जाने वाले मार्ग के कम चौड़ा होने के बाद भी वहां दुकानें क्यों लगने दी जाती हैं। रविवार को देशभर में अवकाश रहता है इसलिए भक्तों की भीड़ ज्यादा आती है यह जानते हुए भी व्यवस्थाएं क्यों नहीं की गई। पुलिस प्रशासन क्या कर रहा था। इस ओर ध्यान देने की बड़ी आवश्यकता है। आपदा कहीं भी आ सकती है उसमें कुछ भी हो सकता है। लेकिन अगर वहां तैनात प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी समय से व्यवस्था करते तो शायद यह हादसा नहीं होता। मनसा देवी ट्रस्ट कह रहा है कि मृतकेां को दो-दो लाख और घायलों को 50 हजार की वो भी सहायता देगा। सीएम उत्तराखंड द्वारा हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं लेकिन सवाल यही उठता है कि आखिर कब तक घटना होने के बाद जांच के आदेश मुआवजा और शोक संवेदना हम व्यक्त करते रहेंगे। ऐेसे मामलों को रोकने के लिए नीतिगत आधार पर सुरक्षा व्यवस्था कब की जाएगी। उस पर सोचने की आवश्यकता है। जो लोग वहां व्यवस्था में लगे थे उन्होंने रास्ते में दुकान कैसे लगने दी और करंट की अफवाह कैसे फैली इसका पता कर सबसे पहले जिन लोगेां को जिम्मेदारी सौंपी गई थी उनके खिलाफ कार्रवाई हो और जांच पूरी होने तक उन्हें पद से हटाया जाए। कहने में अजीब लगता है लेकिन जिनके अपने चले गए उनका दुख कोई कम नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि हरिद्वार के डीएम-एसएसपी को पदों से हटाकर इस मामले में उन्हें जिम्मेदार मानते हुए जांच हो। अगर किसी भ्ीा प्रकार से सरकारी स्तर पर हुई लापरवाही इस दुर्घटना में सिद्ध होती है तो इन दोनों अफसरों को हटाया जाए और भविष्य में डीएम-एसएसपी के पद पर नियुक्ति नहीं दी जाए। केंद्र व प्रदेश सरकार मंदिरों धार्मिक आस्था के लिए एक प्राधिकरण बनाकर उसमें अनुभवी अधिकारियों को रखकर अब तक ऐसे हादसों में क्या कमी रही उसे ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएं लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। नागरिकों की इस बात से मैं भी सहमत हूं कि जब तक प्रमुख हुक्मरानों पर कार्रवाई नहीं होगी तब तक ऐसी घटनाओं को रोकना मुश्किल। भगवान मृतकों की आत्मा को शांति और परिवारों को यह दुखर सहने की शक्ति दे। मानवीय संवेदना को ध्यान में रखते हुए यूपी, उत्तराखंड व केंद्र सरकार जिन परिवारों के कमाने वाले सदस्य इस हादसे में नहीं रहे उन्हें सरकारी नौकरियां देकर दुख कम करने की कोशिश की जाए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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