लखनऊ 18 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में अदालत दोषी पाया है। बहुचर्चित फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए) कोर्ट ने सात साल की सजा सुनााई है। माता पिता समेत पुत्र को सजा हुई है। वहीं आजम के खिलाफ केस दर्ज करवाने वाले आकाश सक्सेना ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से जुल्म उन्होंने रामपुर की जनता के साथ किए हैं और व्यक्तिगत फायदे के लिए जो किए हैं उसका फैसला जो आया है उसमें सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि ये रामपुर की जनता की जीत है।
शैक्षिक प्रमाण पत्रों में अब्दुल्ला की जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 है जबकि उनके बर्थ सर्टिफिकेट में 30 सितंबर 1990 थी. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला की ओर से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था और स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया था. कोर्ट ने पाया था कि साल 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम थी.
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम थी. लेकिन फिर भी वो फर्जी प्रमाण पत्र के दम पर चुनाव लड़े. रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्ला आजम ने जब विधानसभा का चुनाव लड़ा था तो शफीक अंसारी उनके प्रस्तावक थे. अब शफीक अंसारी अपना दल में हैं और स्वार से अपना दल के विधायक बन गए हैं. हालांकि, 2017 में स्वार सीट से अब्दुल्ला आजम ही चुनाव जीते थे.
इसके बाद इस मामले में एक नया मोड़ आया. रामपुर से बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में रामपुर के गंज थाने में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया, जिसमें आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन फातिमा को भी आरोपी बनाया गया था.