Thursday, November 13

साधु संतों को महिलाओं के बारे में बोलने से पहले ?

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वृंदावन में लगता है कि अब कुछ साधु संतों ने महिला का अपमान करने और इनके बारे में कुछ भी बोलना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझ लिया है। ऐसा आजकल नागरिकों का भी कहना है। बताते चलें कि पिछले दिनों कथावाचक अनिरूद्राचार्य द्वारा लड़कियों पर टिप्पणी की गई थी जिससे नाराज वृंदावन के लोगों ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। अब नया मामला संत प्रेमानंद महाराज का सामने आया है जिसमें उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि सौ में से दो चार लड़कियां ही पवित्र रही है। ऐसी लड़कियां जब घर मंे आएंगी तो कैसी बहु बनेगी दुख ही देख लो। आजकल सब गर्ल फ्रेंड बॉयफ्रेंड के चक्कर में पड़े हैं यह गलत बात है। मैं किसी संत के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन महिलाओं के बारे में ऐसी बातें शोभा नहीं देती। धार्मिक क्षेत्र के लेागों को आखिर क्या हो गया है जो वो ऐसी बात कर रहे हैं। हमेशा देखने को मिला है कि संतों व कथावाचकों की कथाओं में 80 प्रतिशत महिलाएं ही मौजूद होती हैं। अगर समाचार पत्रों में छपी खबरें सही हैं तो मुझे लगता है कि उन्हें बड़प्पन दिखाते हुए महिलाओं से क्षमा याचना करनी चाहिए। भगवान कृष्ण तो किसी के बारे में गलत नहीं बोलते थे इस क्षेत्र के संतों को क्या हो गया है। पीठाधीश्वर सनातन धर्म रक्षा पीठ कोशल किशोर ठाकुर का कहना है कि संतों के बिगड़े बोल सनातन धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं। क्योंकि संतों ने सुंदर समाज का निर्माण और मर्यादित बातें किए जाने को बढ़ावा दिया। मेरा मानना है कि संतों का सम्मान बना रहे तो उन्हें भी बोलने से पूर्व शब्दों का मंथन करना चाहिए। आस्था को बनाए रखने हेतु यह अत्यंत आवश्यक है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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