वर्तमान में बढ़ती महंगाई के चलते लगभग सात रूपये में तो एक चाय भी आसानी से दुकानों पर भी नहीं मिल पाती। उसके साथ नाश्ते या अन्य की बात तो छोड़ ही दीजिए। बताते चलें कि यूपी सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों की 26215 दिव्यांग छात्राओं को समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर माह 200 रूपये की दर से अधिकतम दस माह पर स्टाइपेंड के लिए 5.24 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। स्मरण रहे कि यह प्रोजेक्ट बीती नौ अप्रैल की बैठक में अनुमोदित हुआ था। भले ही लगता हो कि इतनी बड़ी रकम दिव्यांग छात्राओं को दी जा रही है। लेकिन मुख्यमंत्री जी अगर कोई छात्रा पसंद की किताब खरीदकर अध्ययन करना चाहे तो 200 रूपये में वो किताब नहीं मिलती। 200 रूपये महिना तो लाइब्रेरी भी नहीं पढ़ाती। सरकारी लाइब्रेरी में किताबें आसानी से मिल नहीं पाती है। इसलिए उंट के मुंह में जीरा के समान ही इस योजना को कह सकते हैं। मेरा मानना है कि दिव्यांग छात्राओं और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय इन लोगों के लिए सरकार को एक बड़ी योजना इनकी हौसला अफजाई के लिए लाई जाए। वैसे तो सरकार का यह उपहार ही कह सकते हैं मगर जिस अनुदान में एक समय की रोटी नहीं खाई जा सकती। मनपसंद किताबें नहीं खरीदी जा सकती और एक कप चाय प्रतिदिन नहीं आ सकती उससे तो अच्छा है कि इसे लागू ही नहीं किया जाता। उप्र सरकार को हरियाणा में दी जा रही लाडो सखी योजना के तहत एक हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि का अवलोकन करना चाहिए। और उसे ध्यान में रखकर दिव्यांग छात्रों के लिए ऐसी योजना लागू की जाए जो कम से कम छात्र पेट भर हर दिन एक समय पर भोजन कर सके।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
दिव्यांग छात्राओं को समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रतिमाह मिलेंगे 200 रूपये, सीएम साहब इससे तो अच्छा था कि यह योजना लागू ही नहीं की जाती, क्योंकि इतने में तो एक कप चाय भी नहीं पी जा सकती
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