Friday, November 22

डिमांड पूरी न होने पर कारोबारी को थाने में दी थर्ड डिग्री

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मेरठ 17 नवंबर (प्र)। शहर के थाना लिसाड़ीगेट बजाय पुलिस के मुखबिर चला रहे हैं। यह संगीन आरोप उस पीड़ित कारोबारी का है, जिससे मुखबिरों ने पांच लाख की डिमांड की थी। डिमांड पूरी न होने पर कारोबारी को थाने में थर्ड डिग्री दी गयी। थर्ड डिग्री के बाद जब पुलिस को रकम पहुंचा दी गयी तो बाद में सट्टे में कारोबारी का चालान कर दिया और लगे हाथों थाने से ही रिहा भी कर दिया।हैरानी तो यह है कि जो मुखबिर पांच लाख की डिमांड लेकर पहुंचे थे, उन्हीं से जमानत भी भरवाई गई। इस मामले में पुलिस की बड़ी चूक का खुलासा भी पीड़ित ने किया है। पीड़ित ने खुलासा किया कि सट्टे में काटे गए चालान पर दारोगा के फर्जी हस्ताक्षर सिपाही ने किए हैं। पीड़ित ने पूरे मामले से एसएसपी को अवगत कराया है और इंसाफ की गुहार लगायी।

लिसाड़ीगेट थाना के गोला कुआं सूत मार्केट निवासी रज्जू घर के नीचे ही पतंग मांझे का काम करता है। बकौल रज्जू बीते नौ नवंबर को जब वह गोला कुआं के शान ए करीब होटल के सामने से होकर गुजर रहा था, उसी दौरान बाइक सवार दो सिपाहियों ने उसको रोक लिए और बाइक पर बैठा कर सीधे थाना लिसाड़ीगेट पहुंच गए। थाने के ऊपर वाले हिस्से में बने रिहायशी कमरे में लाकर उसे बैठा दिया।

रज्जू ने बताया कि पुलिस वालों ने आते ही उससे मुखबिर वसीम अन्ना व भूरा चुन्नू के द्वारा मंगवाए गए पांच लाख की रकम के बारे में पूछा। जब उसने इंकार किया तो उसको वहीं कमरे में फर्श पर लेटाकर थर्ड डिग्री दी गयीं। पट्टे से उसकी जमकर पिटाई की गयी। थोड़ी देर बाद रुककर फिर उससे मांगी गयी रकम के बारे में बात की गयी, जब उसने दोबारा भी इंकार कर दिया तो दोबारा पिटाई शुरू कर दी गयी।
इस बीच जिनका नाम पुलिस वाले ले रहे थे, वो दोनों मुखबिर भी वहां पहुंच गए। बातचीत हुई तय हुआ कि पांच लाख की रकम दी जाए। बकौल रज्जू रात को ही दोनों मुखबिर उसके घर रकम लेने पहुंच गए, लेकिन कारोबारी की पत्नी शबनम ने पैसा न होने की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दिया।बाद में रकम का इंतजाम करने के लिए इमलियान निवासी दामाद को बुलाया गया। उन्होंने लेट नाइट रकम दी। उसके बाद तय हुआ कि थाने से छोड़ दिया जाए, लेकिन पुलिस वालों ने खुद के फंसने के डर से सट्टे में चालान कर दिया। चालान करने के बाद दोनों मुखबिरों वसीम अन्ना व भूरा चुन्नू से ही जमानत भरवा दी।

पतंग कारोबारी रज्जू के परिवार वालों का कहना है कि ऐसा ही कुछ उनके साथ हो रहा है। दरअसल रज्जू पहले किसी सट्टा कराने वाले के यहां पर्ची लिखने का काम करता था, लेकिन पूर्व एसएसपी प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल में तमाम माफियाओं के खिलाफ पुलिस के अभियान के बाद उसने अपराध की दुनिया से खुद को दूर कर शरीफों वाली जिंदगी जीने की ठान ली और गोला कुआं पर पतंग की दुकान खोलकर परिवार पालने लगा, लेकिन उसकी शराफत उसके लिए अजाव बन गयी।
बकौल रज्जू लिसाड़ीगेट थाने में इलाके के जितने भी अपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं, उनका वर्चस्व कायम है। वहां का माहौल बिलकुल फिल्मी थानों सरीखा नजर आया जहां पुलिस से अपराधी डरते नहीं हैं। बल्कि पुलिस का अपराधियों के साथ दोस्ताना रवैया दिखाई दिया। पुलिस कार्यालय पहुंचे पीड़ित कारोबारी ने थाना लिसाड़ीगेट के माहौल को लेकर और भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए।

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