Tuesday, December 23

डीएम कार्यालय पहुंचे सीसीएसयू के छात्र, कुलपति पर लगाया करोड़ों के घोटाले का आरोप

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मेरठ 19 अगस्त (प्र)। मेरठ में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के छात्र डीएम कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट आदेश प्रधान ने विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला और उनके सहयोगियों पर करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री, जिलाधिकारी मेरठ और शिक्षा विभाग को शिकायत पत्र सौंपा है।

प्रयागराज महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्तियों, नियम-विरुद्ध उत्तर पुस्तिकाओं और प्रयोगात्मक कॉपियों की खरीद, अवैध भवन निर्माण और सरकारी धन के दुरुपयोग जैसे गंभीर मामलों का खुलासा हुआ है। कुलपति पर आरोप है कि दिसंबर 2021 में पदभार संभालने के बाद उन्होंने प्रशासनिक और वित्तीय तंत्र को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया।

ऑडिट में पाया गया कि मेरठ विकास प्राधिकरण से बिना मानचित्र स्वीकृति के फार्मेसी विभाग और मूल्यांकन भवन की दो-दो मंजिलों का निर्माण कराया गया, जिस पर 1454 लाख रुपए से अधिक खर्च दिखाया गया।
मरम्मत और अनुरक्षण के नाम पर 2022-23 में 11 करोड़ और 2023-24 में 150 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च बिना औचित्य के किया गया।

इसके अलावा, 39 लाख अतिरिक्त उत्तर पुस्तिकाओं और सात लाख प्रयोगात्मक कॉपियों की खरीद पर 488 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि इनकी कोई मांग नहीं थी।

शिकायत में कुलपति पर नासर और रूबी बनो नामक व्यक्तियों की फर्जी नियुक्ति कर लाखों रुपए के गबन का आरोप है। नासर को कुलपति का ड्राइवर और रूबी बनो को लेखा विभाग में कर्मचारी दिखाया गया, जो नियम-विरुद्ध है।
विश्वविद्यालय में छात्रों को समय पर मार्कशीट, डिग्री, माइग्रेशन और ट्रांसक्रिप्ट नहीं दिए जाते, जबकि इसके लिए अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। प्रोविजनल डिग्री के लिए 250 रुपए और अर्जेंट डिग्री के लिए 1000 रुपए लिए जाते हैं।
एडवोकेट आदेश प्रधान ने प्रेस वार्ता में मांग की कि सीबीआई, ईडी, लोकायुक्त, सीएजी और केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसियों से पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए।

2021-22 से 2024-25 तक के ऑडिट की दोबारा जांच और कुलपति सहित अन्य अधिकारियों का निलंबन करने की मांग की गई है, ताकि जांच प्रभावित न हो।

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