मेरठ 19 सितंबर (प्र)। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नौ माह बीतने के बाद शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मामले में आवास विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के भूखंड संख्या 661/6 पर निर्मित कांप्लेक्स और 31 अन्य निर्माणों के खिलाफ अवमानना का वाद दायर कर दिया है।
आरटीआइ कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने भी आदेश का अनुपालन न होने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना वाद दायर किया है जिस पर सुनवाई की तिथि छह अक्टूबर है। 17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मार्केट के भूखंड संख्या 661/6 पर निर्मित कांप्लेक्स को तीन माह खाली करने और इसके बाद दो सप्ताह में ध्वस्त करने के आदेश आवास विकास परिषद को दिए थे। आदेश में उक्त कांप्लेक्स की तरह आवासीय भूखंडों पर बने अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। तीन माह की समय अवधि बीतने के बाद भी 661/6 पर काबिज 22 व्यापारियों ने परिसर खाली नहीं किया है। इसी को लेकर परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में इन प्रतिष्ठानों के खिलाफ अवमानना वाद दायर किया है। सेंट्रल मार्केट के ही 31 अन्य निर्माणों को भी इसका दोषी माना है। अंतिम नोटिस देने के बावजूद इन प्रतिष्ठानों के व्यापरियों ने अवैध निर्माण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने बताया कि उन्होंने नौ माह बीतने के बाद भी भू उपयोग परिवर्तन कर हुए निर्माणों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने को आधार बना कर अवमानना याचिका दायर की है।
जिलाधिकारी से मिलकर पुलिस बल की मांग की
आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने डीएम से मिलकर पूरे प्रकरण से अवगत करा दिया है। उनसे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए पुलिस बल की व्यवस्था करने की मांग की है। इस मामले में प्रशासन ने मजिस्ट्रेट के रूप में एसीएम की नियुक्ति कर दी थी। परिषद ने ध्वस्तीकरण के लिए मेसर्स रिलायबल एजेंसी को ठेका भी दे दिया था। वहीं, सेंट्रल मार्केट के व्यापारी किशोर वाधवा ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर हमने निर्माण को नियमित करने की मांग उठाई थी। हमें राहत की पूरी उम्मीद है।
नए कांप्लेक्स को लेकर चर्चाएं
सेंट्रल मार्केट में एक तरफ भू उपयोग परिवर्तित कर हुए निर्माणों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक रही है। वहीं एक नए शो रूम के उद्घाटन को लेकर व्यापारियों में चर्चाओं का दौर जोरों पर है। पहले निर्माण को लेकर कहा जा रहा था कि यह आवास बन रहा है। लेकिन अब शोरूम के उद्घाटन की बात सामने आई है। शो रूम के खिलाफ आवास विकास परिषद द्वारा भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल बख्शी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 142 के तहत अपनी अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति रखता है। अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की जेल का दंड दिया जा सकता है। इसमें कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा शामिल होती है।
