मेरठ 26 दिसंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। आवास विकास कार्यालय मेरठ में भ्रष्टाचार लापरवाही और सरकार की नीति के विरूद्ध निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने तथा इसके कार्य क्षेत्र में सरकारी जमीन घेरे जाने से संबंध बिन्दुओं की संख्या अब चरम पर पहुंचती जा रही है। असल स्थिति तो माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा आवास आयुक्त मेरठ मंड़लायुक्त या जिलाधिकारी जी के माध्यम से जांच कराने के बाद ही स्पष्ट हो सकती हैं। लेकिन फिलहाल इस विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर बड़ी चर्चा उस समय शुरू हुई जब नई सड़क पर बन रहे नगर निगम के ऑफिस का नक्शा पास न होने से संबंध विभागीय इंजीनियर के नाम से छपी खबर चर्चाओं में आई। जिसमें कहा गया कि इस ईमारत का कोई नक्शा आवास विकास से पास नहीं हुआ। अभी उसकी सुर्खियां मीडिया में मध्य भी नहीं हुई थी कि हापुड़ रोड से जुड़े बिजली बंबा बाईपास पर अब्दुल्ला रेजीडेंसी का आवास विकास के पास नहीं रिकॉर्ड नक्शा पास हुआ या नहीं इतना ही नहीं अब्दुल्ला रेजीडेंसी के प्रमोटरों के नामों की सूचना भी विभाग ने प्रश्नगत सूचना संपत्ति प्रबंध कार्यालय से संबंध बताकर मामले को उलझाने का प्रयास किया।
बताते चले कि प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर द्वारा इस अब्दुल्ला रेजीडेंसी के संदर्भ में उठाये गये कुछ सवालों के बाद सुर्खियों में आये इस आवासीय कालोनी में कई घोटाला प्रकरण खुलकर सामने आ चुके है। इसकी जांच में भले ही कुछ 100 गज जमीन सरकारी मिली हो लेकिन जमीन दबाई गई थी यह स्पष्ट हुआ। सवाल यह उठता है कि जब इतनी बड़ी जांच पूर्व में हुई तो विभाग के अधिकारियों ने कालोनी का पास मानचित्र कहां से हुआ कब हुआ और किस किस निर्माण का हुआ क्यों नहीं देखा। कि नक्शा पास भी है कि नहीं। खबर के अनुसार अब नक्शा पास किसने किया जमीन किसकी है सरकारी दफ्तर ने नहीं दिया जवाब। अब यह मामला सूचना का अधिकार कार्यकर्ता लोकेश खुराना द्वारा हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी की जा रही बताई जाती है। बताते चले कि पूर्व मुख्य अभियंता राजीव कुमार द्वारा ऐसे अनेकों घोटाले और घपले अपने कार्यकाल में होने पर उनसे नजर क्यों बचाये रखी यह सवाल बड़ा है। बताते है कि अवैध निर्माणकर्ताओं के उनसे कितने मधुर संबंध रहे इसका इससे पता चलता है कि जैना ज्वैलर्स की विवादित बिल्डिंग बचाने के लिए उन्होंने कोई प्रयास नहीं छोड़ा ऐसा क्यों किया यह तो वो ही जान सकते है। अब वो यहां से स्थानांतरित हो गये और किसी भी जानकारी का जवाब सम्पूर्ण रूप से वर्तमान अधिकारियों के पास नहीं है। नागरिकों का कहना है कि अब्दुल्लापुर रेजीडेंसी और नगर निगम बिल्डिंग के अलावा और भी ऐसे निर्माण हो सकते है जिनका नक्शा पास नहीं होगा। जहां तक बात करे इनके कार्य क्षेत्र में अवैध निर्माण की तो पूरे अपने कार्यकाल में मौखिक रूप से राजीव कुमार को सरकार की निर्माण नीति के विपरीत अवैध निर्माण कराने का मौखिक रूप से प्रेरणाता माना जाता था। जानकारों का कहना है कि इनके कार्यकाल में जैना ज्वैलर्स मंगलपांडे नगर में अलख पांडे कोचिंग इंस्ट्यूट सुपरटेक बिल्डिंग आदि ऐसे दर्जनों निर्माण हो सकते है जिन्हें बचाने के लिए राजीव कुमार द्वारा सभी सरकारी नियमों को तांक पर रख दिया गया होगा। शासन और जनहित में नागरिकों का मानना है कि फिलहाल राजीव कुमार की जहां भी तैनाती है उनके कार्यकाल की पूरी जांच कराई जाए। और जिसे वो प्रभावित न कर पाए इसलिए उनका निलंबन हो। ऐसा नागरिकों का मानना है।
