मेरठ 08 जनवरी (प्र)। 3 दिसंबर को नगर निगम बोर्ड की बैठक में हुए मारपीट प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तय करने हेतु जांच चल रही है। फिलहाल वार्ड 31 के पार्षद कुलदीप उर्फ कीर्ति घोपला से बंद कमरे में समझौता भी हो चुका है और जिस प्रकार से पूरा विपक्ष इस पुरे मामले में उनके साथ खड़ा था उसे देखकर यह भी स्पष्ट कहा जा सकता है कि किसी दबाव में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया होगा। लेकिन इस प्रकरण में हुई महापंचायत के अन्दर पूर्व में प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रहे मुकेश सिद्धार्थ द्वारा योगी आदित्यनाथ की सरकार में ऊर्जा राज्यमंत्री श्री सोमेन्द्र तोमर व उनके परिवार को लेकर जो बयान दिया गया उसकी चारों और पक्ष व विपक्ष अपने अपने हिसाब से निंदा कर रहा है क्योकि भाजपाई इस प्रकरण में उनके खिलाफ कार्रवाही की मांग कर रहे है तो सपा के पूर्व विधायक और मजबूत जनाधार वाले नेता और महापंचायत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे योगेश वर्मा ने उस समय स्पष्ट कहा कि मुकेश का हम समर्थन नहीं करते इस बयान का खंडन करते है क्योंकि मुकेश सिद्धार्थ का इस धरना प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है। गत दिवस देश की राजधानी दिल्ली से सपा नेता मुकेश सिद्धार्थ गिरफ्तार हो गये है। और उन्होंने अपने सोशल मीडिया से पोस्ट किया मेरी गिरफ्तारी हो गई है चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। संघर्ष का रास्ता मेरे लिए नया नहीं है।
लोगों का कहना है कि मुकेश सिद्धार्थ पुराने राजनेता है उन्हें इसकी चिन्ता हो न हो लेकिन किसी को जिंदा जला देने के बयान उचित नहीं कहे जा सकते। शासन प्रशासन क्या करता है वो तो समय ही बतायेगा। लेकिन एक बात जरूर है कि डा0 सोमेन्द्र तोमर ने इस मामले में जिस संयम का परिचय यह कहकर दिया कि उनके ऐसे ही संस्कार है। और इसमें कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है वो इससे घबराते नहीं है कानून अपना काम कर रहा है उन्हें उस पर पूरा भरोसा है।
कुल मिलाकर इस मामले में यही कहा जा सकता है कि बोर्ड बैठक में मारपीट प्रकरण सबके सामने था। क्यों हुआ ये भी सब जान चुके है न्याय और दोषियों पर कार्रवाही की मांग दोनों तरफ से हो रही थी ऐसे में मुकेश सिद्धार्थ के बयान ने सपा के समक्ष कठिन परिस्थितियां ही उत्पन्न की है शायद नेतृत्व भी उनकी बात से सहमत नहीं है क्योंकि पार्टी के मुखिया अथवा किसी भी विधायक का बयान उनके समर्थन में नहीं आया है। होना शायद कुछ नहीं है ऐसा मुकेश सिद्धार्थ भी जानते है और सोमेन्द्र तोमर भी। लेकिन पूर्व के कुछ मामलों और पूर्व में चर्चाओं में बने रहने हेतु प्रदेश की राजधानी लखनऊ में घटित कुछ घटनाओं को ध्यान में रखते हुए मैं भी उनके प्रशंसकों की इस बात से सहमत हूं कि डा0 सोमेन्द्र तोमर व उनको मिल रहे समर्थन और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री जी कुछ समय के लिए उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी जाए क्योंकि ये मामला शांति व्यवस्था अथवा भयमुक्त वातावरण से जुड़ा है। तथा सोमेन्द्र तोमर सुलझे विचारों के जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी पहचान रखते है इसलिए जितना पता चल रहा है उसके अनुसार उनके प्रशंसक भी चाहते है कि उनकी सुरक्षा के पूर्ण इंतजाम प्रदेश सरकार व पुलिस द्वारा किये जाए।