मेरठ, 08 जनवरी (प्र)। बीसी लाइन की कोठी नंबर-152 में अवैध निर्माण रुक नहीं रहा हैं। शनिवार को जैसे ही दिन ढलता है, वैसे ही खुदाई और निर्माण का कार्य अंधेरे में चालू कर दिया जाता हैं। रात के अंधेरे में ट्रैक्टर-ट्राली में मिट्टी लादकर ले जाया जाता हैं। बेसमेंट की व्यापक स्तर पर खुदाई चल रही हैं, जिसकी कैंट बोर्ड से कोई अनुमति नहीं हैं, फिर भी बेसमेंट के लिए खुदाई का कार्य किया जा रहा हैं। ये पूरा क्षेत्र आर्मी का हैं, जहां पर आर्मी के अधिकारियों का भी आवागमन रहता हैं, फिर भी कैसे निर्माण होने दिया जा रहा हैं, ये बड़ा सवाल हैं।
कैंट बोर्ड भंग चल रहा हैं। पूरी कमान आर्मी अधिकारियों के हाथों में हैं, फिर भी निर्माण होने दिया जा रहा हैं। ये अवैध निर्माण का मामला मीडिया में भी सुर्खियों में बना हुआ हैं, फिर भी आर्मी अधिकारी इसका संज्ञान क्यों नहीं ले रहे हैं? बीसी लाइन में जिस कोठी नंबर-152 में अवैध निर्माण चल रहा है, उसमें 24 सर्वेंट क्वार्ट्स बनकर तैयार हो गए हैं। पहले इसमें सर्वेंट क्वार्ट्स नहीं बने थे। जो मकान बनाया गया हैं, उसमें भी बदलाव कर दिया गया हैं। इसका भी मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया गया था।
इस तरह से पूरी बिल्डिंग तोड़कर फिर से बना दी गई और मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया। मरम्मत के नाम पर नई बिल्डिंग का निर्माण सवालों के घेरे में हैं। इसको लेकर बिल्डिंग निर्माकर्ताओं में किसी तरह का खौफ नहीं हैं। क्योंकि बोर्ड भंग है। राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हैं, फिर कैसे निर्माण आर्मी के अधिकारी होने दे रहे हैं, इसको लेकर आर्मी अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आर्मी अफसरों की साफ-सुथरी छवि को भी कैंट बोर्ड के अधिकारी दागदार कर रहे हैं। बताया जाता है कि ये डीईओ लैंड हैं, फिर डीईओ भी इसमें किसी तरह का संज्ञान नहीं ले रहे हैं, उनकी भूमिका को लेकर भी अंगुली उठ रही हैं। इतना तब है जब सीबीआई की टीम के कैंट बोर्ड के अधिकारी निशाने पर हैं। तमाम अवैध निर्माणों के मामले को लेकर सीबीआई कार्रवाई कर रही है तथा छापेमारी भी कर रही हैं। सीबीआई की टीम ने कई कर्मियों पर शिकंजा भी कसा, फिर कैसे अवैध निर्माण होने दिया जा रहा हैं। इसके जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं?