केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा चुनाव के दौरान किये गये वायदों को कई बार पूरा करने में आर्थिक साधनों व बजट के अभाव के चलते असहाय सा महसूस करती है। और ऐसे में या तो जिन लोगों के संदर्भ में घोषणा की गई थी उनकी आलोचना का शिकार और विपक्ष के निशाने पर रहना पड़ जाता है। अथवा विभिन्न चीजों की महंगाई या आम आदमी पर टैक्सों की मार पड़ने लगती है। और यह सरकार की मजबूरी भी हो जाती है।
जबकि अगर विभिन्न जिलों में बैठे सरकारी विभागों के हुकुमरान जो सुविधा तो बरत रहे है अगर एसी कमरों को छोड़कर चाय के प्यालों की खनखनाहट से दूर रहकर प्रयास करे तो सरकार पूरी तौर पर आर्थिक रूप से स्बांलम्बी हो सकती है। और इसके लिए जहां तक मुझे लगता है कोई बहुत बड़ा काम या प्रयास नहीं करना है। प्रथम चरण में सिर्फ और सिर्फ जिन लोगों ने नाली खड़जों बटियों आदि की जमीन के साथ साथ रोड़ बाइडनिंग व हरित पट्टी के अतिरिक्त नजूल आदि की भूमि अथवा अन्य सरकार की भूमि घेर रखी है या घेरकर बेच दी है उन्हें खाली कराकर अथवा बेची गई जमीन की कीमत वसूल कर सरकार मालामाल हो सकती है। लेकिन वर्तमान में इस सबका पैसा व मिलीभगत कर जमीन घिरवाने की एवज में जो सुविधाऐं प्राप्त हो रही है उनके चलते सरकार का खजाना कम और आवास विकास मेडा मेरठ विकास प्राधिकरण नगर निगम जहां जहां छावनी बोर्ड है आदि विभागों के अफसरों के कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्हें वातानुकूलित कमरों से बाहर निकालकर काम पर लगाया जाए तो अभी तक जो इनके बैंक बैलेंस बढ़ रहे उसकी जगह सरकार का खजाना बढ़ने लगेगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी अभी तक सरकार जो भी योजनाऐं बना रही है उसका लाभ जनता तक कम और अधिकारियों की जेबों में ज्यादा पहुंच रहा है बताया जाता है। थोड़ी सी सख्ती करिये और हर जिलें में डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर जिसमें जनप्रतिनिधि भी हो एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी और कुछ तकनीकि के जानकार व पत्रकार भी हो उनसे एक समय सीमा तय कर समीक्षा कराई जाए और सबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिये जाए कि कितनी जमीन रोड़ बाइडनिंग और कितनी हरित पट्टी और कितनी नजूल की और कितनी अन्य घेरी गई है। और कितनी कच्ची कालोनी बनी है और कितने अवैध निर्माण हुए कितनों पर सील लगी लेकिन मौकों पर बड़े बड़े शोरूम चल रहे है और कितने मानचित्र की आड़ में पिछले दो वर्ष में अवैध निर्माण हुए है उन सबकी सूची बनाकर सरकार को दी जाए और घोषित किया जाए कि किस किस मद की कितनी भूमि माफियाओं ने घेरी है उसकी घोषणा कर वसूली अभियान चलाया जाए। और जिस जमीन का पैसा वापस न आये तो उस क्षेत्र के जई एई लेखपाल आदि के व्यक्तिगत साधनों से वसूली की जाए। मुख्यमंत्री जी सरकार मालामाल हो जाएगी और अगले दस वर्षो तक किसी भी जनहित की योजना को पूरा करने में धन की कमी सरकार को नहीं होगी। हां नामी बेनामी सरकारी बाबुओं की जो संपत्ति व बैंक बैलेस है वो जरूर कम होने लगेगा तब इनके द्वारा लगाये जाने वाले अड़गों से निपटने की योजना भी हाथों हाथ बनाकर तैयार की जाए। यह प्रदेश धन संपन्न और सुविधाओं से परिपूर्ण होने में देर नहीं लगेगी।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी मेडा सहित सभी विभागों से यह घोषित कराया जाए कि भूमाफियों ने किस किस मद में कितनी जमीन घेर रखी है और फिर चलाया जाए खाली कराने या वसूली अभियान, प्रदेश हो जाएगा मालामाल
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