उन्नाव 26 जुलाई। आधुनिक और उत्कृष्ट व्यवस्थाओं के साथ गुणवत्ता संस्कारी शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थाओं का धर्म है। उनके यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी राष्ट्र हित संस्कारी शिक्षा हासिल करें जिससे प्रदेश देश की ख्याति विश्व पटल पर गौरव पटल के रूप में लहराए। शनिवार को नवाबगंज स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बात कही।
एआई यूनिवर्सिटी का लोकार्पण करने के बाद मंच से संबोधित किया। कहा ऐसे शिक्षण संस्थान जो कलम और तलवार की परिकल्पना को सरकार सफल बनाते रहे असल में वही राष्ट्र के प्रति सच्ची भावना से काम करते हैं।
योगी ने इस दौरान प्रदेश में स्थापित किया जा रहे आधुनिक सुविधाओं के साथ संचालित हो रहे विश्वविद्यालय का प्रमुखता से जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा की शिक्षा जहां मनुष्य को विकास की तरफ ले जाती है तो वही उसे राष्ट्रहित संस्कारों से ओत प्रोत करती है। विश्वविद्यालय की शुभारंभ के अवसर पर संस्कार पर विशेष जोर देते हुए मुख्यमंत्री 8 साल पहले की प्रदेश सरकार के माहौल को भी याद दिलाया।
सीएम ने कहा कि कोई भी यूनिवर्सिटी, सोसायटी या देश हो जो समय से तेज चलेगा वही प्रगति के द्वार खोलेगा। सीएम ने चांसलर सतनाम सिंह संधू और उनकी पूरी टीम को बधाई दी। बोले शिक्षा में नई क्रांति लाने वाली यूनिवर्सिटी उन्नाव वासियों को मिली है।
भाषण के दौरान सीएम का माइक करीब 1 मिनट के लिए बंद हो गया। सही होने के बाद दोबारा भाषण शुरू हुआ। चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा कि पिछले 7-8 सालों में उत्तर प्रदेश ने अद्भुत विकास किया है। वहीं, पाकिस्तान को चुनौती देते हुए बोले कि बॉर्डर पर बैठे हैं सरदार..सुधर जा पाकिस्तान नहीं तो ठोकेंगे बार-बार।
सीएम ने कहा कि ये छात्र सौभाग्यशाली हैं, जिन्होंने पहले साल में एडमिशन लिया है। हमारी सरकार ने 2020 में एक व्यवस्था बनाई कि हम डिजिटली सक्षम बनाने के लिए युवाओं को टेबलेट या स्मार्टफोन देंगे। अब तक 60 लाख युवाओं को सुविधा दी है और 2 करोड़ का लक्ष्य है। उप्र का युवा प्रतिभा और ऊर्जा से भरपूर है।
संस्कारवान युवा की आगे बढ़ेगा उन्होंने छात्रों से कहा जहां अनुशासन खत्म होता है वहां दुस्साशन शुरू होता है। दुस्साशन महाभारत का कारण बनता है और महाभारत सिर्फ विनाश लाता है। एक संस्कारवान युवा ही देश के विकास में सहायक होता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे स्वयं को केवल डिग्री तक सीमित न रखें, बल्कि राष्ट्र निर्माण के एक जिम्मेदार घटक के रूप में खुद को विकसित करें। नींव के पत्थर दिखाई नहीं देते लेकिन उन्हीं पर निर्माण होते हैं। आप उस नींव के पत्थर के भागीदार बनने जा रहे हैं।