मेरठ 26 जुलाई (प्र)। मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा के वर्तमान उपाध्यक्ष संजय मीणा जी द्वारा अभी तक जो देखने को मिल रहा है अपनी नियुक्ति के बाद से अवैध निर्माण कच्ची कालोनियों का विकास तथा सरकारी जमीन घेरकर बिल्डरों को बेचे जाने की जो व्यवस्था प्राधिकरण के कुछ संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलकर चल रही थी उस पर अंकुश लगाने के प्रयास शुरू किये गये है यह अच्छी बात है। उन्होंने जनता से अपील की है कि वो जांच पड़ताल के बाद ही खरीदे प्लॉट व मकान। क्योंकि मेडा के रडार पर 250 अवैध कालोनियां है। इसलिए खरीदार पहले पूरी पड़ताल करें फिर खरीदें। वीसी साहब का कहना है कि 10 और 5 हजार की दर से कच्ची कालोनी काटने वाले प्लॉट बेच रहे है और 12 हजार रूपये की दर से भूखंड बेचे जा रहे है।
- माननीय वीसी साहब शहर की आबादी में आने वाले क्षेत्रों में कहीं भी अगर कालोनी मुख्य मार्ग पर है तो 15 और 20 हजार रूपये की दर से कम प्लॉट उपलब्ध नहीं है।
- जो कहा जा रहा है कि 40 से 50 कालोनियों का ध्वस्तीकरण किया गया है जो भी कालोनी बिना नक्शा पास कराये विकसित होगी वहां कार्रवाई की जाएगी। वीसी साहब आपसे अनुरोध है कि जिन कालोनियों के ध्वस्तीकरण की बात की जा रही है एक बार आप या सचिव अथवा विभाग के ईमानदार अफसरों की कमेटी बनाकर इन कालोनियों का सर्वे कराये तो कहीं भी ऐसा नहीं लगेगा कि इन्हें बुल्डोजर चलाया या इन्हें ध्वस्त किया गया था। क्योंकि पहले तो जरा सा एक दीवार या खड़जा तोड़कर ध्वस्तीकरण दिखा दिया जाता है। अथवा इससे संबंध आपके सहयोगी अधिकारियों की मदद से बनकर तैयार हो गई है और उनमें धुंआधार अवैध निर्माण चल रहे है।
- वीसी साहब शहर का दौरा करिये तो आपको पता चलेगा कि जिन निर्माणों में सील लगी विभाग की फाईलों में दर्शाई गई है वहां लोग रह रहे है तथा व्यवसाय कर रहे है। उपाध्यक्ष जी आपको दिखाने व उच्च अधिकारियों को गुमराह करने के लिए मेडा के क्षेत्र में जिन कालोनियों और अवैध निर्माणों की एफआईआर कराकर पुलिस मांगने की मांग की जाती है वहां पूरी तौर पर गुलजार है।
- इतना ही नहीं उपाध्यक्ष जी आपके कार्य क्षेत्र में रिहायशी प्लॉटों पर सरकार की निर्माण नीति के तहत भूउपयोग परिवर्तन कराये बिना मानचित्र के नक्शे गलत तरीके से पास कराकर फिर वहां तीन तीन मंजिले कार्मशियल काम्पलैक्स बन गये है और करोड़ों की दुकाने बिक रही है।
- संजय मीणा जी आपके प्रयासों को देखकर सुधार की उम्मीद तो बंधी है इसलिए आपसे अनुरोध है कि जो 250 कालोनियां अवैध बताकर मेडा के रडार पर दर्शाई गई है एक बार उनका निरीक्षण करिये तो आपको पता चलेगा। कि वो बिना अवैध निर्माण रोकने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से तो बन ही नहीं सकती और इन्हें पता न हो ऐसा संभव नहीं है क्योंकि एक एक कालोनी सालो में बनती है। और इनका विकास इनके बिना सहयोग से नहीं हो सकता। इसलिए इनके खिलाफ तो कार्रवाई होनी ही चाहिए साथ ही जो अधिकारी इस दौरान इन क्षेत्रों मे तैनात रहे नियमानुसार इनके खिलाफ भी कार्रवाई हो तो आपकी मंशा के तहत अवैधनिर्माण रूक सकते है।
अब बात करे मानचित्र कि तो यह विभाग तो मेडा के लिए बिना सूड का सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है सही मानचित्र तो पास होते ही नहीं और गलत पर मोहर लगते देर नहीं लगती। वीसी साहब इसके उदाहरण के रूप में परतापुर बाईपास स्थित वन फारर होटल को देखा जा सकता है। जिसमें जाने का कोई रास्ता नहीं था लेकिन सिंचाई विभाग से एनओसी भी नहीं ली गई और नक्शा पास कर दिया गया।
दूसरे गढ़ रोड़ पर खुले हल्दीराम के शोरूम को देखा जा सकता है जिसका नक्शा एक छोटी दुकान के रूप में पास किया गया मगर मौके पर वहां भव्य शोरूम तो खुल ही गया ऊपर बिना लाईसेंस बार भी चलाया गया। लेकिन इसका नक्शा पास कर दिया गया। इसी प्रकार से पल्लवपुरम फेस वन में डिवाईडर रोड पर रिहायशी प्लॉटों पर दो बड़े भव्य कमशिर्यल निर्माण हो गये। एक किसी तरूण गुप्ता का बताया जाता हैं। जानकारों का कहना है कि इन दोनों पर ही सील लगी हुई है और वहां न्यायालय के प्रतिबंध के बावजूद गलत तरीके से भू उपयोग बदलकर व्यापार चल रहा है। वीसी साहब कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि आप जो मेहनत कर रहे इसके परिणाम तभी निकलकर सामने आ सकते जब आप खुद या बड़े अधिकारियों से जांच कराये। वर्ना रूड़की रोड़ पर पीएसी से पहले लावड़ जाने वाले मार्ग के अपोजिट सरकारी जमीन पर शोरूम बनकर क्षेत्र के अवैध निर्माण रोकने से संबंध अधिकारियों की मिलीभगत से हो गया ऐसा आगे भी होता रहेगा। एक बार आप पूर्व उपाध्यक्ष प्रभात मित्तल की भांति कुछ विश्वसनीय अधिकारियों को लेकर दौरा करिये तो आपके सामने सच्चाई खुलकर सामने आ जाएंगी।
(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य संपादक पत्रकार)