समिति भंग करने और बुजुर्गों की आधी फीस करने की उठ रही है मांग
मेरठ 22 अक्टूबर। (प्र) । मवाना रोड़ रक्षापुरम में स्थित मेरठ क्लब आजकल विशेष रूप से चर्चाओं में है। स्मरण रहे कि यह आज का नहीं कई दशक पुराना क्लब है। सर्वप्रथम यह स्टेडियम के दो कमरों में शहर के कुछ प्रतिष्ठित लोगों द्वारा प्रेरणा स्रोत गतिविधियां चलाने हेतु शुरू किया गया था। बाद में जब स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए कमरों की जरूरत पड़ी तो उस समय के कलेक्टर एसएन सेठ द्वारा खिलाड़ियों व खेलों को बढ़ावा देने हेतु आपसी सहमती पर उसे वहां से हटा दिया गया। तब इसके संचालकों के आग्रह पर कचहरी स्थित सैनिक भवन में एक कमरा मेरठ क्लब के लिए एलॉट किया गया जब वहां भी पूर्व सैनिक के संगठन को अपना कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए परेशानी होने लगी तो वहां से भी उसे हटाना पड़ा और कुछ दिनों के लिए मेरठ क्लब हवा में चलता रहा क्योंकि इससे जुड़े सदस्य इसकी मीटिंगे जगह जगह करते रहे और इसकी गरिमा बनाये रहे। बाद में शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों पूर्व रोटरी गर्वनर शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एपेक्स ग्रुप के चेयरमैन डा0 ब्रजभूषण गोयल आदि ने उस समय के मंडलायुक्त एचएल बिरदी से मिलकर स्थाई रूप से कोई स्थान क्लब को देने के लिए आग्रह किया था।
तब काफी मंथन के बाद मवाना रोड़ स्थित रक्षापुरम मेरठ विकास प्राधिकरण की कालोनी में खेलों की गतिविधियों को बढ़ावा देने व सार्वजनिक आयोजनों के लिए छोड़े गये पार्क का कुछ हिस्सा बोर्ड बैठक में रखकर क्लब के लिए दिया गया। और कहा गया कि यहां खेलों की गतिविधियांे को बढ़ावा देने व युवाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया जाएगा। अब जगह पर भवन बनाने की समस्या सामने आई तो इसके लिए शहर के प्रतिष्ठित लोगों को एक तय फीस लेकर क्लब का गठन कर उसका मैंबर बनाया गया तथा सदस्यता फीस से भवन का निर्माण हुआ और यह क्लब मेरठ मंड़लायुक्त की अध्यक्षता में चलने लगा। इसमें उपाध्यक्ष मेरठ विकास प्राधिकरण जिलाधिकारी आदि के साथ ही कुछ नागरिकों भी रखा गया। बाद में इसकी कमेटी बनी। और धीरे धीरे क्लब की गतिविधियां आगे बढ़नी शुरू हुई।
लेकिन वर्तमान में अफसरों को तो कानून व्यवस्था और जो विभागीय जिम्मेदारी है उन्हें निभाने से फुर्सत मिलना संभावित नहीं है क्योंकि वो जनहित में प्राथमिक है। परिणाम स्वरूप जो प्राईवेट सदस्यों में पहले पदाधिकारी चुने जाते थे लेकिन अब पिछले कुछ वर्षों से कुछ उत्साही सदस्यों ने अध्यक्ष से अपना मनोनयन कराना शुरू कर दिया और जिस खेल भावना को बढ़ावा देने के लिए क्लब गठित हुआ था उसे भूल इसका बैंक बैंलेस बढ़ाने और बार खुलवाने तथा अन्य मनोरंजन की गतिविधियां करानी शुरू कर दी गई।
जिसका पूर्व में कालोनी के प्रमुख नागरिकों द्वारा विरोध भी किया गया। लेकिन जिनसे शिकायत करनी थी वहीं उससे जुड़े हुए है और जो वर्तमान में स्वम पदाधिकारी है वो जो बता देते है उसी पर कार्यवाई शुरू हो जाना बताया जाता है। स्थिति यह है कि कोई सुविधा किसी भी प्रकार की न होने के बावजूद पिछले 4 साल तक लगभग क्लब बंद पड़ा रहा सदस्यों से आग्रह किया तो उन्होंने उस काल का पैसा भी जमा कराया। पूर्व में योगेश गुप्ता इसे देख रहे थे और उनके द्वारा काफी कार्यक्रम भी कराये गये जिन्हें सदस्यों ने पसंद भी किया। लेकिन जब उन्होंने 2000 की जगह वार्षिक चंदा 5000 हजार किया तो उसका विरोध हुआ। उसके बाद लगभग एक साल तक क्लब में मक्खी मच्छर भिनभिनाते रहे और जाले लग गये ।तब कुछ सदस्यों ने वर्तमान जिलाधिकारी जी से आग्रह कर क्लब खुलवाया और उनके द्वारा एक कमेटी इसके संचालन के लिए बना दी गई।
वर्तमान कमेटी की चंदा बढ़ाने की कार्यवाही को लेकर सदस्यों में रोष है क्योंकि उनके द्वारा क्लब में कोई विशेष सुधार किया गया और ना ही खेलों की गतिविधि को बढ़ावा दिया गया बस यह कहकर कि हम बार खुलवाने की कोशिश कर रहे है और साल में पांच छह बार खाना खिलायेंगे। साल में फीस 5 हजार की जगह 8 हजार रूपये कर दी गई। जिसका खुला विरोध कुछ लोग कर रहे है। उनकी भावना से मंड़लायुक्त जिलाधिकारी व एमडीए वीसी साहब को अवगत कराकर यह बढ़ोत्तरी समाप्त कराकर इसके मेन उद्देश्य खेलों की भावना व खिलाड़ियों को बढ़ावा देने का काम वर्तमान पदाधिकारी करने को तैयार नजर नहीं आते है।
स्थिति यह है कि अभी क्लब के चंदे पर जीएसटी की सीमा लागू न होने के बावजूद इसके कोषाध्यक्ष ने ग्रामीण कहावत मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन को लागू करते हुए जीएसटी का बोझ सदस्यों पर और लाद दिया। कुछ सदस्यों का मौखिक रूप से कहना है कि बैंक बैलेंस बढ़ाने की बजाए क्लब के मूल उद्देश्य को साकार करने हेतु पदाधिकारी काम करे और जो जबरदस्ती चंदा बढ़ोत्तरी की गई है वो माननीय मंडलायुक्त व जिलाधिकारी जी से अनुमति लेकर वापस हो।
स्मरण रहे कि केन्द्र व प्रदेश की सरकारें देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की खेल व खिलाड़ियों को बढ़ावा देने की भावना को ध्यान में रखते हुए वर्तमान पदाधिकारियों से आग्रह कर रहे है कि वो इस क्लब को बार अथवा सिर्फ मनोरंजन का केन्द्र न बनाकर सदस्यों के लिए प्रेरणास्रोत कार्यक्रम भी बनाये और खेल व खिलाड़ियों को बढ़ावा देने हेतु जो मैदान खाली पड़ा है उसे उपयोगी बनाया जाए।
कुछ सदस्यों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि चुनी हुई कमेटी होने पर सदस्यों के हित में सोचते है पदाधिकारी इसलिए वर्तमान समिति को भंग कर चुनाव कराये जाए तथा अन्य क्लबों की भांति मेरठ क्लब में भी सदस्यों से ली जाने वाली भी बुजुर्ग सदस्यों की आधी की जाए।