प्रदेश में वाहनों के चालान काटने के मामले में बड़े स्तर पर यातायात पुलिस नियम विरूद्ध नागरिकों का उत्पीड़न करने के मामले में वर्तमान में काफी तेजी से काम करती नजर आ रही है। कुछ माह पूर्व यूपी के मेरठ में दिल्ली रोड स्थित जगदीश मंडप में मौत पर दुख प्रकट करने आए नागरिकों के वाहनों के चालान काट दिए गए। कभी हेलमेट तो कभी कागजों के ना होने के नाम पर चालान करने के किस्से हमेशा ही पढ़ने को मिलते है। बीते दिनों एक कार का यातायात पुलिस ने चालान कर दिया। नियम विरूद्ध वाहनों की चाभियां निकालने और मालिकों को बेइज्जत करना इनका शौक बन गया है। एसपी ट्रफिक के बयान आए कि इतनी बार चालान होने के बाद इतने लाइसेंस निरस्त करने की बात कही गई और आरटीओ से भी कार्रवाई शुरू की गई। यह किसी से छिपा नहीं है कि हेलमेट लगाने वाले भी मरने से नहीं बचते। मैं हेलमेट लगाने का विरोधी नहीं हूं लेकिन इसके नाम पर किसीका उत्पीड़न करने की अनुमति नही दी जानी चाहिए। यातायात पुलिस उच्चाधिकारियों का ध्यान हटाने के लिए क्या कर सकती है इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैँै कि मुजफ्फनगर जिले में ट्रैफिक चालान से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक स्कूटी सवार पर 20 लाख 74 हजार रुपये से अधिक का चालान काट दिया गया। चालान वायरल होने पर यह मामला चर्चा में आ गया। उसके बाद पुलिस अधिकारियों ने जांच की और चालान की रकम घटाकर 4 हजार रुपये कर दी।
कैसे हुआ इतना भारी चालान?
जानकारी के अनुसार संबंधित स्कूटी पर कई महीनों से टैक्स, बीमा और कागजात अपडेट नहीं थे। इसी क्रम में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के चलते चालान तैयार किया गया। लेकिन चालान बनाते समय सब इंस्पेक्टर ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 207 भरना भूल गए, जिससे चालान की राशि सिस्टम में ऑटो-कैलकुलेट होकर बढ़ गई।
चालान वायरल, तो शुरू हुई जांच
जैसे ही चालान की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हुई, लोगों में हैरानी के साथ सवाल उठने लगे। इसके बाद अधिकारियों ने संबंधित एंट्री और सिस्टम रिकॉर्ड की जांच की। जांच में पुष्टि हुई कि चालान में तकनीकी त्रुटि हुई थी।
चालान घटाकर किया गया 4 हजार
जांच पूरी होने के बाद पुलिस विभाग ने चालान की राशि मानकों के अनुसार संशोधित कर दी। अब स्कूटी सवार को केवल 4,000 रुपये का चालान देना होगा।
सिपाही की त्रुटि नोट की गई
सूत्रों के अनुसार जिस सब इंस्पेक्टर ने चालान तैयार किया था, वह धारा 207 एमवी एक्ट डालना भूल गया, जिसके बाद उच्च अधिकारियों ने उसे नोटिस कर स्पष्टीकरण मांगा है।
मेरा मानना है कि अगर उक्त बात को गलत कहें तो चालान करने वाले इंस्पेक्टर को कभी ऐसी जिम्मेदारी नहीं सौंपी जानी चाहिए जिसे वो पूरा ना करते हो। उन्हें हटाकर पुलिस लाइन में तैनात किया जाए और उनकी डायरी में लिखा जाए कि इनकी गैर जिम्मेदारी के चलते इन्हें कोई जिम्मेदारी ना दी जाए। क्योंकि वाहन चालक गलती करे तो उसे उत्पीडित किया जाता है। इसे ध्यान रखते हुए चालान काटने वाले सब इंस्पेक्टर पर भी जुर्माना लगाया जाए। एमवी एक्ट में जो चालान काटा गया उसमें जो बातें कहीं गई कि स्कूटी के कागज व डीएल नहीं थे तो इस पर चार हजार का चालान काटा जाना भी कहां की तुक है। पहले उसे कागज दिखाने के लिए समय दिया जाना चाहिए था। अगर उस पर एक भी कागज होता तो चालान नहीं काटा जाना चाहिए था क्योंकि यह अपराधों को रोकने और नियमों के पालने के लिए कियाजाता है ना कि जुर्माने के नाम पर वसूली। दोषी सब इंस्पेक्टर के खिलाफ भी सख्ती कार्रवाई होनी चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डीजीपी दें ध्यान: ट्रैफिक पुलिस की निरकुंश कार्यप्रणाली हेलमेट न लगाने पर कार चालक का चालान, स्कूटी के कागज व डीएल न होने पर 20 लाख 74 हजार का जुर्माना, दोषी सब इंस्पेक्टर के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
Share.
