मेरठ 13 दिसंबर (प्र)। गंगा एक्सप्रेसवे से सटाकर बनाए जाने वाले औद्योगिक गलियारे को जमीन देने से चिह्नित क्षेत्र के किसान इन्कार कर रहे हैं। विरोध में वे धरना भी दे रहे हैं। गुरुवार को धरनास्थल पर 30 गांवों के किसानों की पंचायत हुई। इसमें एक स्वर में किसानों ने औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन देने से इन्कार कर दिया। पंचायत में सपा नेता भी शामिल हुए। उन्होंने भाजपा सरकार पर किसानों की अनदेखी के आरोप लगाए ।
औद्योगिक गलियारे के लिए भूमि खरीद के विरोध में निहित तीनों व औद्योगिक गलियारा के लिए भूमि खरीद का काम ठिठका के किसान गांव छतरी मोड़ पर धरना दे रहे हैं। धरनास्थल पर गुरुवार को 30 गांव के किसानों की पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में किसानों ने कहा कि सरकार किसानों को बर्बाद करने का प्रयास कर रही है। सस्ते दाम में जमीन लेकर किसानों का शोषण कर रही है। उद्यमियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। पंचायत को सपा के प्रदेश सचिव और गुर्जर स्वाभिमान समिति के अध्यक्ष ओमपाल गुर्जर ने भी संबोधित किया। कहा कि भाजपा सरकार किसानों की नहीं, अडानी अंबानी की सरकार है। जनता को चुनाव के समय जांच, परख और देखकर वोट करनी चाहिए। सत्ता के जनप्रतिनिधि आपका वोट लेकर गायब हो गए। उन्होंने धरने के लिए 51 हजार की आर्थिक मदद की घोषणा भी की। पंचायत में किसान संघर्ष समिति ने निर्णय लिया कि किसी भी कीमत पर सरकार को जमीन नहीं देंगे। पंचायत की अध्यक्षता गोपीचंद सिंह और संचालन कमल सिंह ने किया। पंचायत को किसान नेता मामचंद नागर, इंद्रमुनि त्यागी, प्रमोद नागर, योगेन्द्र कुमार, मुकुल त्यागी, प्रबोध शास्त्री ने भी संबोधित किया।
धरने को इन्होंने दिया समर्थन: अब तक धरने को 20 ग्राम प्रधान, दो जिला पंचायत सदस्य, छह किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। आंदोलन चला रही समिति ने ग्यारह जगह अपना ज्ञापन दिया है।
यूपीडा मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे के पास औद्योगिक गलियारा के दूसरे चरण के लिए जमीन खरीद की तैयारी चल रही है, लेकिन अभी पहले चरण के लिए ही जमीन खरीद का काम पूरा नहीं हो सका है। बैनामों का सिलसिला लगभग दो महीने से ठिठका हुआ है। जिसे लेकर जिला प्रशासन और यूपीडा तनाव में हैं। प्रथम चरण की 196 हेक्टेयर भूमि में से 185 हेक्टेयर निजी कृषि भूमि है। जिसमें से अभी तक केवल 138 हेक्टेयर की ही खरीद की जा सकी है। जबकि भूमि खरीद का कार्य फरवरी 2024 से चल रहा है।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यूपीडा ) के प्रदेश में छह एक्सप्रेसवे हैं। इन सभी के किनारे औद्योगिक गलियारे का विकास किया जा रहा है। मेरठ से प्रयागराज तक जाने वाले गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण अंतिम चरण में है। अब इसके आसपास प्रथम चरण में 196 हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्योगिक गलियारा विकसित किया जाएगा। जबकि दूसरे चरण के लिए तीन गांवों में 300 हेक्टेयर क्षेत्रफल को चिह्नित किया गया है। यूपीडा दूसरे चरण के लिए भूमि की खरीद जल्द से जल्द शुरू कराने का आदेश दे रही है। जबकि सच्चाई यह है कि अभी तक प्रथम चरण के लिए भी जमीन की खरीद का काम पूरा नहीं हो सका है। किसानों की निजी कृषि भूमि में से 47 हेक्टेयर भूमि की खरीद अभी बाकी है। जबकि लगभग चार हेक्टेयर सरकारी भूमि का पुनर्ग्रहण भी किया जाना शेष है।
दो गांवों की जमीन में बनेगा प्रथम चरण : औद्योगिक गलियारा का प्रथम चरण खरखौदा और बिजौली गांवों की भूमि में विकसित होगा। इसमें बिजौली गांव की 141.0451 हेक्टेयर भूमि शामिल है जबकि खरखौदा गांव की 44.8322 हेक्टेयर भूमि है। कुल निजी कृषि भूमि 185.8773 हेक्टेयर है। इसके साथ ही सरकारी भूमि भी 11.0900 हेक्टेयर है। जिसका पुनर्ग्रहण किया जाएगा। इसमें से 6.7935 सरकारी भूमि का पुनर्ग्रहण यूपीडा के पक्ष में किया जा चुका है।
जिलाधिकारी दीपक मीणा का कहना है कि औद्योगिक गलियारा के प्रथम चरण के लिए भूमि की सीधे किसानों से खरीद की जा रही है। तहसील की टीम किसानों के संपर्क में है। कई बैनामे प्रक्रिया में हैं। जल्द जमीन खरीद का काम पूरा कर लिया जाएगा। जो जमीन विवादित है। उनके मुकदमे न्यायालय में विचाराधीन हैं। उनका पैसा न्यायालय में जमा करके भूमि का अधिग्रहण कर लिया जाएगा। कुछ जमीन नाबालिग के नाम है तथा कुछ ईंट भट्ठे व अन्य गतिविधियों में संलग्न है। उनके लिए अनुमति प्राप्त करके बैनामा होगा। बाकी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।