पटना, 12 दिसंबर। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (फ्लिपकार्ट) पर पटना के अनिमेष कुमार ने 67,900 रुपये के मोबाइल फोन का ऑर्डर किया। उन्हें डिब्बे में साबुन की टिकिया मिली। बार-बार शिकायत पर फ्लिपकार्ट से मात्र समाधान का आश्वासन मिला। कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। अनिमेष भुगतान भी कर चुके थे। अंततः उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में गुहार लगाई। वहां फ्लिपकार्ट का कहना था कि वह खरीद-बिक्री के लिए मात्र प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। विक्रेता कोई दूसरी कंपनी है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने विक्रेता कंपनी को आदेश दिया कि वह छह प्रतिशत ब्याज के साथ 68 हजार रुपये वापस करे। इसके अलावा यह कि इस मामले से फ्लिपकार्ट कन्नी नहीं काट सकता, क्योंकि ग्राहक उसे ही जानता है, ना कि उस फ्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध छोटी-बड़ी विक्रेता कंपनियों को, इसलिए फ्लिपकार्ट को पांच हजार रुपये का हर्जाना देना होगा।
सैमसंग कंपनी के मोबाइल (एक्सएफ-240 52) के लिए भुगतान वर्ष 2018 में 30 नवंबर को हुआ था। पैकेट खोलते समय अनिमेष ने उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की थी। उसी साक्ष्य के आधार पर वे फ्लिपकार्ट को अपने साथ हुई धोखाधड़ी की ऑनलाइन सूचना दी। फ्लिपकार्ट के शुरुआती संदेश से आभास हो रहा था कि वह मामले में उचित हस्तक्षेप करेगा, लेकिन बाद में प्रतीत हुआ कि टालमटोल हो रहा है। उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष विधु भूषण पाठक व सदस्य रजनीश कुमार के समक्ष भी फ्लिपकार्ट का वही रवैया रहा। तर्कों-तथ्यों का आकलन कर दोनों न्यायकर्ताओं ने पाया कि सौदे में बेईमानी हुई है। विक्रेता कंपनी (साने रिटेल्स प्राइवेट लिमिटेड) को फ्लिपकार्ट ने निरूशुल्क अपना प्लेटफॉर्म तो उपलब्ध कराया नहीं, वह कमीशन पाता है, इसलिए खरीद-बिक्री में पारदर्शिता के दायित्व से वह मुकर नहीं सकता। निर्णय यह कि विक्रेता कंपनी दो माह के भीतर ब्याज सहित राशि वापस करेगी। 30 नवंबर, 2018 से राशि की वापसी की तिथि तक ब्याज की गणना होगी। मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के एवज में अनिमेष को फ्लिपकार्ट पांच हजार रुपये देगा।